अरवल : कोरोना का भय है तो चिकेन नहीं खायेंगे, लेकिन फ्री में मिले तो क्या परहेज
सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को आतंकित कर के रख दिया है. जितना डर लोगों को आतंकवादियों और नक्सलियों से नहीं लगता, उससे कही ज्यादा लोग इन दिनों कोरोना वायरस से भयभीत हैं. डरना भी चाहिए क्योंकि अबतक पूरी दुनिया में हजारों लोगों ने जान गंवा दी हैं और लाखों इससे पीड़ित हैं. लेकिन इस कोरोना वायरस का असर सबसे अधिक किसी चीज पर हुआ है तो वो चिकेन पर. इन दिनों लोग चिकेन इस वजह से नहीं खाना चाह रहे कि कहीं इससे कोरोना न हो जाए. या हो सकता है कि इन मुर्गों को कोरोना हो रखा हो. हालांकि ऐसा कोई भी मामला अबतक सामने नहीं आया है. बावजूद लोग इससे परहेज कर रहे हैं. इससे सबसे ज्यादा नुकसान व्यपारियों को उठाना पर रहा है. 150 और 250 रूपये किलो बिकने वाला चिकेन 50 और 35 रूपये बिक रहा है. हद तो ये हैं कि इसके बाद भी लोग खरीदने के लिए आना नहीं चाहते हैं.
बिहार के अरवल जिले में तो पॉल्ट्री फॉर्म मालिक ने मजबूरी में एक-दो नहीं बल्कि 5000 से अधिक मुर्गों को लोगों के बीच फ्री में बांट दिया. लोगों की भीड़ के कारण व्यवसायी अपने घर की छत पर जा खड़ा हुआ और वहां से उसने एक-एक कर मुर्गा नीचे फेंकना शुरू किया. जिले के सदर थाना क्षेत्र के खोपड़ी गांव के लोगों ने चिकेन मटन और मछली खाना छोड़ दिया है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव चिकेन बाजार पर पड़ा है. चिकेन का प्रोडक्शन होने के बाद भी सेल ना होने की स्थिति में दुकानदार ने फ्री में ही मुर्गों को लुटाने की ठानी. गांव के लोगों को जैसे ही मुफ्त में मुर्गा मिलने की सूचना मिली वहां बड़ी संख्या में लोग जुट गए और लोगों में मुर्गा लूटने की होड़ मच गई.
सबसे बड़ी बात ये हैं कि मुर्गे को लेकर अफवाह का बाजार गर्म है. लेकिन जब मुफ्त में चीजें मिलने लगे तो उससे किसी को कोई परहेज नहीं है. क्योंकि जिस तरह से अरवल में मुफ्त मुर्गा लूटने के लिए भीड़ लग गई. और लोगों ने जमकर लूटा उससे साफ़ जाहिर होता है कि मुर्गा खाने से कुछ नहीं होता. बस सावधानी से अपनी सेहत का ध्यान रखें. कोरोना जैसी किसी भी तरह की बीमारी आपको नहीं हो सकती. यदि मुर्गे से बीमारी होती तो अरवल के मुर्गा खाने वाले लोग कोरोना की चपेट में आ जाते.
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