सिटी पोस्ट लाइव : देश में कोविड- 19 एक बार फ़िर तेज़ी से पैर फैला रहा है. और लोग इसके गिरफ्त में फ़िर से आ रहे हैं. एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार कोरोना को लेकर सभी राज्यों को अलर्ट कर स्वास्थ सेवाएं दुरुस्त करने के साथ साथ लोगों से एहतियात बरतने की अपील की जा रही है. लेकिन बिहार के मुख्या नीतीश कुमार के गृह ज़िले में नालंदा ही उसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. एक तरफ़ मास्क जो कोरोना से बचाव का महत्वपूर्ण साधन है. तो वहीं, अब मास्क लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. जिसकी बानगी बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में देखने को मिल रहा है. जहां यत्र-तत्र प्लास्टिक से बने मास्क डिस्पोजल ग्लास लाकर यहां अस्पताल कैंपस में फेंके जा रहे हैं.
जिससे कोरोना के साथ साथ आम लोगों के लिए परेशानी का सबब तो बन ही रहा है और इससे पर्यावरण को भी अच्छा ख़ासा नुकसान झेलना पड़ सकता है. एक ताज़ा सर्वे के मुताबिक पता चला है कि दुनिया में हर एक मिनट में 28 लाख से ज्यादा प्लास्टिक मास्क का उपयोग करने के बाद फेंक दिए जाते हैं. जिससे दुनिया में लाखों टन प्लास्टिक कचरा बढ़ता जा रहा है. जो इंसान के सेहत के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है. ऐसे परिवेश में लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है.
लोगों का कहना है कि मास्क को खुले में न फेंककर उसे गड्ढे कर जमीन के अंदर दबा देना चाहिए. मगर ऐसा नालंदा ज़िला में होता दिख नहीं रहा है. वहीं, सिविल सर्जन का कहना है कि मास्क को इधर उधर नहीं फेंकना चाहिए. कोविड 19 से बचाव के लिए जो भी एहतियातन कदम उठाए जाएंगे. उसके लिए स्वास्थ विभाग पूरी तरह से तैयार है. बहरहाल मामला चाहे जो भी हो लेकिन कोविड-19 जैसे महामारी के दोबारा दस्तक से लोगों में दहशत का माहौल है, और अब एहतियात बरतने की जरूरत है.
नालंदा से महमूद आलम की रिपोर्ट
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