चतरा डीईओ ऑफिस में ही शिक्षक ने खाया जहर, स्थिति गंभीर

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चतरा डीईओ ऑफिस में ही शिक्षक ने खाया जहर, स्थिति गंभीर

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के चतरा में वेतन नहीं मिलने से नाराज शिक्षक विनोद मिस्त्री ने शुक्रवार की दोपहर करीब 12 बजे जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में ही जहर खा लिया। इससे उनकी स्थिति गंभीर हो गई है। सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने उन्हें रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) रेफर कर दिया। विनोद कोडरमा जिला के कटैयाटांड़ गांव के खाखरटोला के रहने वाले जगदीश मिस्त्री के बेटे हैं। शिक्षक दिगंबर प्रसाद, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार, एनके मंडल आदि ने सदर अस्पताल में बताया कि विनोद मिस्त्री अपने साथ जहर की शीशी लेकर आए थे। हाजिरी बनाने के बाद उन्होंने जिला शिक्षा अधीक्षक से मिलने का प्रयास किया, लेकिन वे कार्यालय में नहीं थे। उसके बाद विनोद ने जहर की शीशी निकाली और कार्यालय में ही उसे पी लिया। जब दूसरे शिक्षकों को इसकी जानकारी हुई, तो उन्हें लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षकों की ज्वॉइनिंग तो हुई, लेकिन पोस्टिंग नहीं की गई। इसके साथ ही ज्वॉइनिंग के दो महीने बाद भी वेतन नहीं मिल रहा है। विनोद पोस्टिंग के लिए परेशान थे।
जिले के 104 शिक्षकों की जिला प्रशासन ने समाप्त कर दी थी सेवा
वर्ष 2015-16 में इन शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में हुई थी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा नियुक्ति के बाद सभी जिलों में जांच करने के आदेश दिये गये थे। इन सभी शिक्षकों की सेवा पारा शिक्षक से स्थायी हुई थी। सभी शिक्षकों करीब डेढ़ वर्षों तक स्कूलों में पढ़ाया। इन शिक्षकों की नियुक्ति गैर पारा कोटि में कर दी गई थी। प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली में पारा शिक्षकों के लिए 50 प्रतिशत पद आरक्षित किये गये थे। पारा शिक्षकों को अपनी कोटि में ही आवेदन करना था। इसके बाद भी कुछ पारा शिक्षकों ने पारा शिक्षक के लिए आरक्षित पद के साथ-साथ गैर पारा कोटि में भी आवेदन कर दिया था। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा नियुक्ति के बाद सभी जिलों में फिर से जांच के आदेश दिये गये थे। जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि पारा शिक्षकों को गैर पारा कोटि में नियुक्त कर दिया गया है। वैसे पारा शिक्षक जिनकी नियुक्ति मेधा अंक होने के बाद भी गैर पारा कोटि में नहीं हुई, वे भी नियुक्ति की मांग करने लगे। इसके बाद गैर पारा कोटि में नियुक्त हुए पारा शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया गया। जिला शिक्षा स्थापना समिति के निर्णय के अनुरूप 104 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई। बाद में बर्खास्त शिक्षकों ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने उनकी बर्खास्तगी को रद करते हुए दस अगस्त तक योगदान और चार सप्ताह के भीतर वेतन शुरू करने का आदेश जिला शिक्षा अधीक्षक को दिया था।
हाईकोर्ट के आदेश पर योगदान तो कराया, पर दो माह बाद भी डीईओ ने शुरू नहीं किया वेतन हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला शिक्षा अधीक्षक ने 29 सितंबर को उन्हें अपने कार्यालय में योगदान कराया। योगदान के बाद उनकी पदस्थापन स्कूलों में नहीं की। सभी शिक्षक प्रतिदिन जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में अपनी उपस्थिति बना रहे हैं। उनका वेतन अब तक शुरू नहीं किया गया। वेतन के अभाव में उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। वेतन की मांग को लेकर कई बार शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधीक्षक से मुलाकात की, लेकिन वे हमेशा कहते रहे कि जब तक स्कूलों में पदस्थापन नहीं होगी, तब तक वेतन नहीं मिल सकता है।

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