बिहार के आयोग सालों से नहीं दे रहे खर्चे का हिसाब-किताब, CBI जांच की मांग.
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में सूचना के अधिकार (Right to information) के तहत एक बड़ा खुलासा हुआ है. ये खुलासा हुआ है कि राज्य के कई आयोगों ने पिछले कई सालों से आय़-व्यय का ब्योरा ही नहीं सौंपा है. बिहार विधानसभा की प्रत्यायुक्त विधान समिति शाखा (legislation committee branch) में उपलब्ध जानकारी ने बिहार के कई आयोगों की बड़ी हकीकत खोल कर रख दी है. ऐसे आयोगों की लंबी फेहरिस्त है.
प्रशासी विभाग, बिहार राज्य सूचना आयोग, सामान्य प्रशासन, बिहार विद्युत् विनियात्मक आयोग, बिहार लोक सेवा आयोग, बिहार राज्य बाल संरक्षण आयोग, बिाहर राज्य बाल श्रमिक आयोग, बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग अल्पसंख्यक कल्याण आयोग, ने तीन साल से चार साल के अपने खर्चे का हिसाब किताब नहीं दिया है. आयोग तो लापरवाह हैं ही उऩके प्रशासी विभाग भी इसके लिए कम जिम्मेवार नही हैं. दरअसल, बिहार में सरकारी संस्थाओं में आय-व्यय (Income and expenses) की पारदर्शिता के मकसद से वार्षिक रिपोर्ट (annual report) का प्रवाधान है. अलग-अलग विभागों से जुड़े आयोगों के लिए भी इसी तरह के नियम लागू हैं, लेकिन सूचना के अधिकार (Right to information) के तहत ये खुलासा हुआ है.
बहरहाल इस इस मामले को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है. विपक्षी दल कंग्रेस जहां इसे गंभीर मामला बताकर विधानमंडल के आगामी सत्र में सरकार को घेरने की रणनीति में जुटी है वहीं, राजद सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर रहा है.कॉग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने न्यूज 18 के खुलासे पर धन्यवाद देते हुए कहा है कि इस तरह के मामले में पारदर्शिता जरूरी है. उधर राजद नेता विजय प्रकाश ने कहा है कि अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो उनकी पार्टी इसके खिलाफ आंदोलनात्मक कदम उठाएगी.जाहिर है कि मामला गंभीर है औऱ ऐसे में सरकार में शामिल दलों को बोलना भारी पड़ रहा है. अब देखना दिलचस्प होगा कि बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में विपक्ष इस मुद्दे को लेकर किस तरह हल्ला बोलता है और सत्ता पक्ष इसका क्या जवाब देता है.
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