बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर करना होगा, शांति और अमन को लगा रहे हैं घुन्न!
बिहार बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले हुआ विशाल धरने का आयोजन
बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर करना होगा, शांति और अमन को लगा रहे हैं घुन्न!
सिटी पोस्ट लाइव स्पेशल : आज 24 अक्टूबर को बिहार बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले बिहार के सीमावर्ती जिलों में अवैध नागरिक (खसकर बांग्लादेशी) घुसपैठ से उत्पन्न राष्ट्रिय संकट को लेकर एक दिवसीय धरने का आयोजन किया गया। इस धरने की अध्यक्षता अरविंद कुमार सिंह ने की जबकि मंच संचालन लुकमान अली ने किया। विभिन्य वक्ताओं के तल्ख और आक्रोश से भरे भाषण के बाद महामहिम राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी के माध्यम से एक मांग पत्र सौंपा गया है जिसमें निम्नलिखित बातों का उल्लेख है।
बिहार के सीमावत्ती जिलों में बांग्लादेश से लाखों लोग घुसपैठ कर गए हैं। इस घुसपैठ की वजह से इन इलाकों में जनसंख्या असंतुलित हुई है। क्षेत्र का राजनीतिक संतुलन भी बिगड़ गया है। घुसपैठ की वजह से क्षेत्र का आर्थिक पक्ष तो प्रभावित हुआ ही है, साथ ही सामाजिक समरसता में भी कमी आई है। इस कारण कानून-व्यवस्था की भी हालत खराब हो गई है। यह सिर्फ असम में ही नहीं हुआ है बल्कि बिहार समेत पूरा देश इस समस्या से ग्रसित हो चुका है। बांग्लादेशी घुसपैठियों को देखकर अब बर्मा (म्यानमार) से रोहिंगया शरणार्थी भी अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करने लगे हैं। सन 1951 में आज का पूर्णिया, किशनगंज,अररिया और कटिहार एक ही जिला था। इसकी जनसंख्या तब 25,25,231 थी, जिसमें मुस्लिम जनसंख्या 8,17,148 यानी कुल जनसंख्या का 32 फीसदी था।
सन 1971 में मुस्लिम जनसंख्या पूर्णिया में 39.62 फीसदी, कटिहार में 36.58, किशनगंज अनुमंडल में 64.97 फीसदी हो गया। यानि 1951 के पूर्णिया क्षेत्र में मुस्लिम जनसंख्या 47.05 फीसदी हो गई। सन 1981 में यह प्रतिशत 56 फीसदी हो गया। सन 1991 में 60 फीसदी से उपर हो गया। सिर्फ सन 2001 से सन 2011 के बीच मात्र दस सालों में आबादी 27.95 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई जबकि इस अवधि में हिंदुओं की जनसंख्या में वृद्धि दर महज 24.61 फीसदी रही।
बिहार के सीमावर्त्ती जिले किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, बगहा में बांग्लादेशी, पश्चिम बंगाल और नेपाल के रास्ते होकर आते हैं और देश के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध दस्तावेज बनाकर रहने लगते हैं। ऐसे लोगों की संख्या आज लगभग चार करोड़ से ज्यादा हो गई है। CBI के पूर्व निदेशक योगेंद्र सिंह ने भारत में पांच करोड़ अवैध नागरिक के रहने की बात कही है। इस घुसपैठ को सरकार ने भी स्वीकारा है। 10 जुलाई 1982 को लोकसभा में गृह राज्यमंत्री निहाल चंद ने स्वीकार किया था कि बांग्लादेश से असम, बंगाल और बिहार में घुसपैठ हुआ है। सन 1991 में भी लोकसभा में गृह राज्यमंत्री एम.एम.जैकब ने घुसपैठ की बात स्वीकारी थी।
राजनीतिक प्रभाव : –
घुसपैठियों के द्वारा मतदाता सूची में नाम जुड़वाकर मतदान का अधिकार हासिल कर लिया जाता है। परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में जहां पहले हिंदू चुनाव जीतते थे, वहां अब मुस्लिम जीतने लगे हैं। कसबा, अररिया, कटिहार, बारसोई, बरारी, मनिहारी, प्राणपुर, सिकटा, ढ़ाका, बिष्फी, केबटी, महिषी आदि में भी राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिलने लगा है। उपरोक्त विधानसभाओं में प्राय: मुस्लिम ही चुनाव जीतने लगे हैं। पहले इन क्षेत्रों में ग्राम पंचायत में मुखिया और सरपंच 70 फीसदी हिंदु हुआ करते थे। मगर आज यह मात्र 25 फीसदी हिंदू ही मुखिया-सरपंच बन पाते हैं। किशनगंज और कटिहार लोकसभा क्षेत्र से विजय या चुनाव लड़ने वाले अनेक मुस्लिम नेता इस क्षेत्र से बाहर के हैं।
आर्थिक प्रभाव : –
काम की तलाश में बिहार की सीमावर्त्ती क्षेत्र के लोग इन क्षेत्रों से पलायन कर पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि जाने लगे हैं। कारण घुसपैठिये कम पैसे पर मजदूरी करने को तैयार हो जाते हैं। एक बार जब इन्हें काम मिलने लगता है, तो ये घर बनाकर यहीं बस जाते हैं। उसके बाद फसल लूट, चोरी, डकैती एवं हत्या जैसी आपराधिक गतिविधियों से क्षेत्र में भय का वातावरण बना देते हैं। इन कारणों से बाध्य होकर यहां के मूल निवासी अपनी जमीन इनके हाथों औने – पौने दाम पर बेच देते हैं। सरकारी जमीन पर कब्जा करना, कमजोर तबके की जमीन हड़पना आये दिन हो रहा है। इससे हिंदू ही नहीं,वरन भारतीय मुसलमान भी प्रभावित होते हैं।
राष्ट्र विरोधी गतिविधियां : –
इन सीमावर्त्ती जिलों से बांग्लादेश में तस्करी के माध्यम से बड़े पैमाने पर मवेशी भेजे जाते हैं। आवश्यक वस्तुएं भी बांग्लादेश में तस्करी के माध्यम से पहुंच रहे हैं। 14 मार्च 2018 को अररिया लोकसभा उपचुनाव नतीजे के तुरंत बाद पाकिस्तानी झंडा फहराया गया और पाकिस्तान जिंदाबाद और भारत तेरे टुकड़े – टुकड़े होंगे का नारा लगाया गया। हथियार की तस्करी, छोटी बच्चियों की तस्करी, आतंकवादी गतिविधियों के साथ – साथ धार्मिक उन्माद फैलाया जा रहा है। भारत और नेपाल के बीच में नो मेंस लैंड पर इन घुसपैठियों द्वारा धर्म और शिक्षा के प्रसार के नाम पर अवैध तरीके से राष्ट्र विरोधी कार्यों को अंजाम देते हैं। इसलिए इन अवैध नागरिक को देश से निकालने के लिए नेशनल रजिस्टार ऑफ सिटिजन (NRC) बिहार सहित देशभर में लागू किया जाये। नहीं तो भविष्य में इसका दूरगामी परिणाम घातक होने वाला है।
हमारी मांगे : –
1. विदेशी नागरिकों की पहचान एवं उन्हें देश से बाहर निकालने हेतु अविलंब राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) लागू किया जाय।
2. विदेशी नागरिकों की पहचान का आधार सन 1951 की जनगणना सूची, सन 1951 की मतदाता सूची, 1954, 58 की भूमि सर्वेक्षण को बनाया जाय।
3. मतदाता सूची से इनका नाम काटकर,इन्हें अपना देश भेजा जाय।
4. सन 1954 के बाद उपरोक्त क्षेत्र के जमीन खरीद – बिक्री की सघन जांच की जाय।
5. जिस जमीन को विदेशियों ने खरीदा है। वह वापस लेकर इस क्षेत्र के भूमिहीन दलितों एवं संथालों में वितरित कर दिया जाय।
6. भारत – बांग्लादेश नेपाल सीमा पर कंटीले तार लगाया जाय, ताकि भविष्य में घुसपैठ ना किया जा सके।
7. घुसपैठियों को संरक्षण देने वाले नेताओं को गिरफ्तार किया जाय।
8. भारत – नेपाल सीमा नो मेंस लैंड में जो अवैध धार्मिक और शैक्षणिक केंद्र हैं,उसे तुरंत बंद कराया जाय ।
9. सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाय। आशा है सरकार अविलंब इस संवेदनशील मुद्दे पर प्रभावी कदम उठायेगी ।
उक्त मौके पर पूर्व विधायक सह भाजपा नेता किशोर कुमार मुन्ना, दिनेश सिंह, मदन सिंह, भूपेंद्र प्रियदर्शी, लालनेस्वर झा, छात्र संघ अध्यक्ष सागर कुमार नन्हें, भाजपा जिला अध्यक्ष नीरज गुप्ता, जिला महामंत्री दिवाकर सिंह, भाजयूमो के जिला अध्यक्ष सिद्धार्थ सिंह सिद्धू, प्रतिकेश सिंह छोटू, नीलम भगत, विश्व हिन्दू परिषद के जिला मंत्री शारदा कान्त झा, अभाविप के प्रदेश सह मंत्री सुजीत सान्याल, मुरारी मयंक, मोनू झा, अमन सागर, बजरंग दल के रतन दूबे, राज सिंह चम्पू, सोनू सिंह, बिट्टू सिंह, मोनु कुमार, अजित सिंह, अमन सिंह, सोनू सिंघम, सोनू यादव, संतोष कुमार गुप्ता, संजय कुमार, अनिल कुमार झा, दिलीप सिंह, कंचन सिंह, चन्द्र कुमार यादव, भरत चौधरी, अशोक सिंह, सोनू सिंघम, कुन्दन कुमार, आनंद सिंह, श्रवण कुमार ताती, गुरुवचन पासवान, सुबोध मेहता, आदित्य ठाकुर, मंगल सरमा, सुनील यादव, अरुण कुमार, दिनेश कुमार, राजीव सिंह, सुरेश प्रसाद सिंह, दिलखुश सिंह, योगेश भारद्वाज, नीरज सिंह, सुमन सांडिल, अनिल कुमार झा, हरिशेख मिश्रा, मंगल शर्मा, बालेश्वर राय, रामविनय यादव सैकड़ो की संख्या में बिहार बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन छात्र संघ अध्यक्ष सागर कुमार नन्हें किया।
सहरसा से संकेत सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
Comments are closed.