सिटी पोस्ट लाइव :बिहार चुनाव मोड़ में पूरी तरह से आ चूका है.सभी दल चुनावी तैयारी में जुटे हैं.महागठबंधन और NDA के बीच घमाशान जारी है.इस बीच भारत सरकार के पूर्व वितमंत्री यशवंत सिन्हा पटना पहुँच गए हैं.यशवंत सिन्हा पटना के सभी छोटे राजनीतिक दलों के नेताओं से संपर्क साध रहे हैं.राज्य के ऐसे बड़े जनाधार वाले नेताओं से बातचीत कर रहे हैं, जो किसी पार्टी में नहीं हैं.दरअसल, यशवंत सिन्हा जेपी की तर्ज पर बिहार में एंटी-बीजेपी-एंटी-आरजेडी-कांग्रेस दल बनाना चाहते हैं.
सूत्रों के अनुसार यशवंत सिन्हा पटना में पिछले चार दिनों से हैं.वो नागमणि,नरेन्द्र सिंह, अरुण कुमार जैसे एक दर्जन प्रभावशाली नेताओं से मिलकर बातचीत कर चुके हैं.जनतांत्रिक पार्टी के अनिल सिंह भी उनसे मिलकर इस नए दल के गठन में अहम् भूमिका निभाने का आश्वासन दे चुके हैं.इस मोर्चा के एक नेता के अनुसार इमारत-ए.शरिया और मिली कौंसिल जैसे अल्पसंख्यक समुदाय के संगठनों ने भी यशवंत सिन्हा की इस पार्टी का साथ देने का आश्वासन दिया है.एक नेता के अनुसार NRC, CCA को लेकर चलाये जा रहे मुहीम में तेजस्वी यादव के शामिल नहीं होने को लेकर इमारते शरिया और मिली कौंसिल से जुड़े लोग नाराज हैं.उनका कहना है कि बीजेपी-आरजेडी के विरोध में अगर कोई मजबूत तीसरा मोर्चा बनता है तो वो उसका साथ देगें.
सवाल ये उठता है कि क्याया यशवंत सिन्हापने उम्र काखिरी पड़ाव में क्या जीपी की तरह बिहार या फिर देश की राजनीति को एक नई दिशा या फिर एक राजनीतिक विकल्प दे पायेगें.इस सवाल का जबाब अभी भविष्य के गर्भ में है.लेकिन अगर प्रयास चल रहा है और वो भी इतने बड़े अनुभवी नेता के नेत्रित्व में तो थोड़ी बहुत उम्मीद तो लाजिमी है.सूत्रों के अनुसार इस नए राजनीतिक दल की तरफ से एक दलित, एक अति-पिछड़ा, एक सवर्ण और एक अल्पसंख्यक समाज का नेता उप-मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया जाएगा.मतलब साफ़ है कि आज केबिहार में जाति को नजर-अंदाज कर बिहार में राजनीति करना मुश्किल है.
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