बर्खास्त महिला सिपाहियों ने पुलिस अधिकारी पर लगाये गम्भीर आरोप
सिटी पोस्ट लाइव : बीते 2 नबम्बर को पटना में नवनियुक्त महिला और पुरुष जवानों का गदर सही मायने में एक इतिहास बन चुका है. इस मामले को पुलिस अधिकारियों ने बेहद गम्भीरता से लिया और विद्रोह कर उत्पात और तांडव मचाने वाले 175 पुलिसकर्मियों को एकसाथ बर्खास्त कर दिया. विस्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पटना एसएसपी मनु महाराज भी उस दिन पुलिस जवानों के निशाने पर थे लेकिन सतर्कता की वजह से मनु महाराज की ईज्जत बच गयी. इसी कड़ी में महिला आयोग के सामने पटना पुलिस लाईन की विद्रोही और बर्खास्त महिला पुलिस कर्मियों ने अपनी पीड़ा को उकेर कर रख दिया है. अपनी आपबीती सुनाती हुई इनकी आंखें मूसलाधार बारिश की तरह बरस रही थीं. इन पुलिस कर्मियों ने डीएसपी मो. मसलेहद्दीन के खिलाफ सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. इनके अनुसार डीएसपी सर छुट्टी देने के बदले हमें बिस्तर पर सोने को कहते थे. मासिक धर्म का वीडियो बनाने कहते थे. अपनी आपबीती में इनके इशारे यह भी साफ कह रहे थे कि इनके साथ आपत्तिजनक व्यवहार और छेड़छाड़ भी किये जाते थे. इन्होंने बताया कि पुलिस लाईन में हम महिलाओं के साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जाता है. महिला पुलिसकर्मियों ने कहा कि उन्हें बिना किसी नोटिस के बर्खास्त कर दिया गया है. उनसे पूछा भी नहीं गया कि पूरा मामला क्या है ?बड़े आश्चर्यजनक और सवालिया लहजे में इन्होंने कहा कि ना तो उनकी समस्याओं के बारे में पूछा गया और ना ही कोई स्पष्टीकरण देने का वक्त दिया गया. सीधे कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.
इसके लिए उन्होंने महिला आयोग से गुहार लगाई है. महिला आयोग की अध्यक्षा दिलमणि मिश्रा ने पूरे मसले को गम्भीरता से सुना और उन्होंने कहा है कि इसकी पूरी तरह से जाँच की जाएगी।महिलाओं के साथ क्या अन्याय हुआ इसकी भी छानबीन होगी. गौरतलब है कि बर्खास्त पुलिसकर्मियों का कहना है कि उनसे गलती हुई है. उन्हें इस तरह तोड़फोड़ नहीं करना चाहिए था। लेकिन वे अपना सब्र और धैर्य गंवा चुके थे. इसके सिवा उनके पास कोई चारा नहीं बचा था. बीते तीन महीने से बर्दाश्त करते-करते उनके मन घिन्ना गए थे. बताना लाजिमी है कि बीते 2 नवंबर को डेंगू से ट्रेनी महिला पुलिस जवान सविता का देहांत होने के बाद पुलिस लाईन में हंगामा,तोड़फोड़,एसपी और डीएसपी की भरपूर पिटाई महिला जवानों ने की थी. इसी मामले को लेकर बिहार पुलिस ने 5 नवंबर को बड़ी कार्रवाई की थी. इस विद्रोह के खिलाफ 175 पुलिसक्रर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है,जिसमें 77 महिला जवान भी शामिल हैं. आजतक देशभर में
पुलिसकर्मियों के खिलाफ इतनी बड़ी कारवाई कभी नहीं हुई थी. यह बिहार पुलिस की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है . अब महिला आयोग बर्खास्त महिला पुलिसकर्मियों के दर्द से ऊपजे ज्वाल को कितनी गंभीरता से लेता है और सरकार को क्या रिपोर्ट सौंपता है,आगे यह देखना बेहद जरूरी है. इन्हीं महिला पुलिसकर्मियों के भाग्य पर अन्य बर्खास्त पुरूष पुलिसकर्मियों की नौकरी टिकी है. लेकिन महिला आयोग के सामने बर्खास्त महिला पुलिस के आरोप ने पूरे पुलिस महकमे को कटघरे में लाकर खड़े कर दिया है. सरकार को सीधे इस मामले हस्तक्षेप करना चाहिए और दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए. अगर महिला पुलिसकर्मियों के आरोप सही निकले,तो यह बेहद संगीन अपराध और दुर्भाग्य होगा. ऐसे में बड़े अधिकारियों पर बड़ी कारवाई की जरूरत होगी. इस मामले को गम्भीरता और संवेदनशीलता से लेकर तटस्थ जाँच की दरकार है.
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट
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