कुढ़नी उपचुनाव का परिणाम तय करेगा नीतीश का भविष्य?
आज होगी वोटों की गिनती और आयेगें परिणाम, नतीजे बदल देगें बिहार का सियासी समीकरण.
सिटी पोस्ट लाइव : कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव को बिहार की राजनीति में सेमीफाइनल माना जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि इससे लोक सभा चुनाव के नतीजे का अंदाजा लगेगा. इस चुनाव को जीतने के लिए तमाम सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी थी. राजनीतिक पंडितों के अनुसार कुढ़नी का चुनाव परिणाम आनेवाले समय में सियासी समीकरण को बदल सकता है.आज वोटों की गिनती शुरू होगी और नतीजा सामने आ जाएगा.
कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव इसलिए भी ख़ास है क्योंकि ये RJD की पारम्परिक सीट रही है.पिछले चुनाव में नीतीश कुमार NDA में थे और यहाँ से बीजेपी को जीत मिली थी.लेकिन इसबार नीतीश कुमार ने ये सीट RJD से मांग कर लड़ी है. इस वजह से JDU के लिए ये सीट महागठबंधन से ज्यादा नीतीश कुमार के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है.JDU के तमाम शीर्ष नेताओं ने कुढ़नी में जीत के लिए दिन रात मेहनत की है. खुद ललन सिंह ने कुढ़नी में कैंप किया था. इसके साथ ही चुनाव प्रचार के आखिरी दिन महागठबंधन के तमाम बड़े नेता भी कुढ़नी में मौजूद थे.
, गोपालगंज और मोकामा उपचुनाव में बीजेपी और RJD ने अपनी सीट बचा ली थी. अब JDU के सामने चुनौती है कुढ़नी सीट बचाने की. कुढ़नी चुनाव अगर JDU जीत जाती है तो आनेवाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए परेशानी बढ़ सकती है. बिहार में बीजेपी की नजर चालीस लोकसभा सीटों पर है. जब पिछली बार JDU के साथ मिलकर 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन, कुढ़नी में हार के बाद महागठबंधन पूरी ताकत से लोकसभा चुनाव लड़ेगा और बीजेपी को कड़ी टक्कर देगा. अगर बीजेपी जीत जाती है तो उसका मनोबल भी काफी बढ़ जाएगा. उसे लगेगा कि बिना नीतीश कुमार के भी लोक सभा चुनाव में किला फतह करना संभव है..
बीजेपी की जीत के बाद बिहार में महागठबंधन की मुश्किल भी बढ़ सकती है. जब सात दल मिलकर भी अपनी सीटिंग सीट नहीं बचा सकते तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कैसे टक्कर देंगे? साथ ही नीतीश कुमार की राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती से उतरने की तैयारियों पर भी झटका लग सकता है. कुढ़नी में दो राजनीतिक पार्टियां VIP और AIMIM की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है. दोनों का दावा अपने-अपने खास वोट बैंक पर है. ऐसे में कुढ़नी के चुनाव परिणाम से उनके दावे की भी जांच हो जाएगी.
कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव ये तय भी करेगा कि मुकेश सहनी का जादू सहनी वोटर पर कितना है, जो ये दावा करते हैं कि सहनी समाज वहीं वोट देता है जिधर VIP के उम्मीदवार खड़े होते हैं या समर्थन देती है. ऐसा इसलिए भी कि कुढ़नी में सहनी वोटर भी निर्णायक माने जाते हैं.कुछ ऐसा ही दावा AIMIM की तरफ से भी किया जा रहा है जिसने गोपालगंज उपचुनाव में अपनी ताकत दिखाई थी और इसकी वजह से राजद उम्मीदवार की हार हो गई थी. अब मुस्लिम वोटरों पर उसकी पकड़ उतनी ही मजबूत है या गोपालगंज में कुछ स्थानीय फैक्टर की वजह से वोट मिले थे, इस पर से भी तस्वीर साफ हो जाएगी.
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