सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में NDA की सरकार मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी के भरोसे चल रही है.ये दोनों नेता अपनी अहमियत को समझते हैं और इसीलिए समय समय पर अपने तेवर दिखातेराहते हैं.खबर है कि वीआइपी सुप्रीमो व मंत्री मुकेश सहनी एनडीए में फिर नाराज चल रहे हैं. सहनी विधान परिषद् की 12 सीटों के लिए होनेवाले मनोनयन में अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं.
मंत्रिमंडल विस्तार (Bihar Cabinet Expansion) में भी सहनी अपनी पार्टी के लिए एक मंत्री की कुर्सी कीमांग कर रहे थे.लेकिन ऐसा हुआ नहीं.अब अपनी अनदेखी से नाराज मुकेश सहनी ने पहली बार नाराजगी प्रकटकी है. विधान परिषद (Bihar Legislative Council) की मनोनयन वाली 12 सीटों में एक सीट की मांग पर सहनी अड़े हुए हैं.इससे पहले भी वो मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए अपनी नाराजगी का इजहार कर चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर दबाव बनाने की राजनीति (Pressure Politics) मुकेश सहनी लगातार कर रहे है.
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले महागठबंधन छोड़ एनडीए के साथ जुड़ने वाले सहनी को विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला.लेकिन वो केवल पांच सीटें ही जीत पाए. खुद सहनी चुनाव हार गए. बीजेपी ने चुनाव पूर्व किए गए समझौते के तहत वीआइपी को विधान परिषद की एक सीट दी. मुकेश सहनी को मंत्री भी बनाया. लेकिन सहनी इतने से संतुष्ट नहीं हैं. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अपनी पार्टी के एक दुसरे विधायक के लिए मंत्री पद की मांग या मनोनयन वाली 12 सीटों में एक पर दावेदारी एक सोंची समझी रणनीति के तहत सहनी कर रहे हैं.
लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं है.बीजेपी सहनी के मसले पर कुछ भी बोलने से बच रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि चुनाव पूर्व किए गए समझौते में सहनी से जो वादा किया गया वह पूरा किया जा चुका है. उन्हें परिषद की एक सीट दी गई. सहनी को मंत्री बनाया गया. अब एक और मंत्री पद या परिषद की एक अन्य सीट पर उनकी दावेदारी का कोई आधार नहीं.
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