सिटी पोस्ट लाइव :लोक सभा चुनाव को लेकर आखिर NDA और महागठबंधन दोनों का जोर सिमांचल पर क्यों है? बिहार में चुनावी रैलियों की शुरुवात सीमांचल से क्यों हो रही है. कुछ महीने पहले जब नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हुए थे तब उसके कुछ महीने बाद ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्णिया के रंग भूमि मैदान (Purnea Rang Bhoomi Maidan) में एक बड़ी रैली की थी. नीतीश कुमार के साथ साथ महाठबंधन पर भी जमकर निशाना साधा था. रैली में अमित शाह ने अवैध घुसपैठ, रोहंगिया मुस्लिम समेत अन्य मुद्दों को लेकर अपनी बात रखी थी.
अब 25 फरवरी को महागठबंधन सिमांचल में एक बड़ी रैली का आयोजन करने जा रहा है.इसे अमित शाह की रैली के जबाब के रूप में देखा जा रहा है.सिमांचल आखिर बिहार की सियासत के लिए बेहद महत्वपूर्ण क्यों हो गया है ?ये तो सबको पता है कि सीमांचल से बिहार की राजनीति में चुनावी ट्रेंड (Election Trend) सेट किया जाता है.2019 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज (Kishanganj) को छोड़ तमाम सीट पर एनडीए ने कब्जा जमाया था. तब बीजेपी के साथ जेडीयू थी. लेकिन आज जदयू बीजेपी से अलग हो चुकी है और महागठबंधन के साथ आकर बीजेपी को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है. आज जो जातीय समीकरण है महागठबंधन के पास है वो फिलहाल बीजेपी पर भारी पड़ती दिख रही है. लेकिन, बीजेपी का दावा है कि एनडीए महागठबंधन पर भारी पड़ेगा.
सीमांचल के जिले मुस्लिम बहुल इलाके हैं. बीजेपी के नेता मुस्लिम तुष्टिकरण की बात कह महागठबंधन सरकार पर हमला बोलते रहे है. साथ ही इन इलाकों में हिंदुओं को प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाते हैं.दरअसल इसके पीछे एक बड़ी वजह एआईएमआईएम (AIMIM) भी है जिसका असर पिछले विधानसभा चुनाव में साफ-साफ दिखा था. AIMIM ने उपचुनाव में भी महागठबंधन को झटका दिया था. अब लोकसभा चुनाव में भी उसकी बड़ी तैयारी है. ऐसे में महागठबंधन मुस्लिमों को साफ मैसेज देने की तैयारी कर रही है ताकि वोटों का बिखराव न हो सके.
JDU के राष्ट्रीय प्रेसिडेंट राजीव रंजन सिंह ललन सिंह का कहना है कि बीजेपी का मंसूबा किसी से छिपा हुआ नहीं है. लेकिन, बीजेपी अपने मकसद में सफल नहीं होगी. महागठबंधन ने तो गृह मंत्री अमित शाह के रैली के बाद ही घोषणा कर दी थी कि महागठबंधन भी सीमांचल में बड़ी रैली करेगी और यह रैली उसी कड़ी का हिस्सा है. नीतीश कुमार के रहते बिहार का माहौल कोई खराब नहीं कर सकता है. चाहे कोई लाख प्रयास कर ले. नीतीश कुमार सबका साथ सबका विकास वाली राजनीति करते हैं. वह किसी जाति और धर्म को देख कर राजनीति नहीं करते है.
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