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आरजेडी ने अचानक क्यों बदला प्लान, क्यों 2020 की लड़ाई लालू बनाम नीतीश हो गयी है?

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आरजेडी ने अचानक क्यों बदला प्लान, क्यों 2020 की लड़ाई लालू बनाम नीतीश हो गयी है?

सिटी पोस्ट लाइवः 2020 चुनावी साल है। इसी साल बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं। 2020 की लड़ाई को लेकर यह माना जा रहा था कि चूंकी आरजेडी ने तेजस्वी यादव को सीएम पद का चेहरा घोषित किया है इसलिए लड़ाई तेजस्वी बनाम नीतीश होगी यानि सीएम बनाम सीएम उम्मीदवार लेकिन हाल के दिनों में आरजेडी के अंदरखाने जो कुछ भी हुआ है वो अपने आप में बेहद दिलचस्प है। कायदे से तेजस्वी यादव को चुनावी साल में फ्रंट फुट पर खेलते दिखना चाहिए था और वे दिख भी रहे थे। सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर तेजस्वी की आक्रामकता देखकर यह लग रहा था कि तेजस्वी और आरजेडी दोनों चुनावी मोड मे है लेकिन साल के शुरूआत से हीं आरजेडी ने अपनी रणनीति बदल ली है।

लड़ाई को तेजस्वी बनाम नीतीश बनाने की बजाय लालू बनाम नीतीश बना दिया है। आरजेडी के पोस्टरों, बैनरों, हमलों और बयानों से साफ है कि आरजेडी 2020 में लालू की बजाय तेजस्वी को आगे कर चुनाव लड़ने का रिस्क नहीं लेना चाहती। 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद शायद आरजेडी को यह अच्छी तरह समझ आ गया है कि लड़ाई नीतीश से हो तो लड़ने वाले का कद भी नीतीश के बराबर का होना चाहिए है जाहिर है लालू इसमें फिट बैठते हैं। महागठबंधन में शामिल दूसरे दल भी लड़ाई को तेजस्वी बनाम नीतीश नहीं देखना चाहते हैं क्योंकि वे जानते हैं ऐसा हुआ तो मुकाबला एकतरफा दिखेगा क्योंकि तेजस्वी का कद कम से कम अभी नीतीश के बराबर नहीं है।

सवाल है कि क्या अगर हाल के दिनों में आरजेडी ने अपनी रणनीति बदली है तो इसे आरजेडी और महागठबंधन का फिक्स प्लान मान लिया जाना चाहिए? क्या यह मान लिया जाना चाहिए कि लड़ाई लालू बनाम नीतीश हीं होगी? सवाल यह भी है कि क्या जिस तरह से महागठबंधन के नेतृत्व और सीएम पद को लेकर महागठबंधन में जो कलह मचती रही है उसको खत्म करने के लिए यह लालू की रणनीति है कि नीतीश के सामने खुद का चेहरा रखा जाए जो नीतीश के कद के बराबर भी है और महागठबंधन के सहयोगियों को स्वीकार्य भी है ताकि 2020 के चुनाव में झारखंड की तरह महागठबंधन को एकजुट रखा जा सके?

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