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LJP के टूटने से चिराग पासवान के राजनीतिक भविष्य पर क्या पड़ेगा असर?

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सिटी पोस्ट लाइव :एलजेपी में टूट की खबर आ रही है.पार्टी सुप्रीमो चिराग पासवान को छोड़कर उनके चाचा और चचेरे भाई समेत पार्टी के तमाम 5 सांसद JDU में शामिल हो सकते हैं.ऐसे में सबसे बड़ा सवाल- चिराग पासवान की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा और दूसरा एलजेपी छोड़कर JDU में जानेवाले सांसदों के हाथ क्या आएगा? दोनों सवालों का जबाब अभी भविष्य के गर्भ में है.ये देखना दिलचस्प होगा कि BJP चिराग पासवान को कितना अहमियत देती है.एलजेपी के पांच सांसद भले पार्टी छोड़ रहे हैं लेकिन एलजेपी के नेता चिराग पासवान ही हैं.उनके समर्थक उनका साथ नहीं छोड़नेवाले.रामविलास पासवान की जगह उनके भाई पशुपति पारस नहीं ले सकते.पासवान अपने निधन से पहले चिराग पासवान को राजनीति में स्थापित कर चुके हैं.BJP भी चिराग पासवान को छोड़कर नीतीश कुमार को बेलगाम होने और लालू यादव को और बज्बुत होने का मौका नहीं देगी.

गौरतलब है कि पिछले विधान सभा चुनाव में चिराग पासवान ने अहम् भूमिका निभाई थी और नीतीश कुमार को भारी नुकशान पहुंचकर बीजेपी का काम आसान कर दिया था.उनके अकेले चुनाव मैदान में होने की वजह से नीतीश कुमार को 30 से ज्यादा सीटों का नुकशान हुआ था..चिराग पासवान को भले विधान सभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली लेकिन उन्होंने ये तो साबित कर ही दिया कि वो अकेले जीतने की ताकत भले ना रखते हों लेकिन किसी को हराने में वो सक्षम जरुर हैं. उन्हें अपने साथ लेने में लालू यादव भी एक मिनट की देर नहीं लगायेगें.अगर चिराग पासवान RJD के साथ चले जाते हैं तो सत्ता पर काबिज होने की तेजस्वी यादव की राह आसान हो जायेगी और सबसे ज्यादा मुश्किल में बीजेपी होगी.

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार के साथ साथ चिराग पासवान को भी साथ लेकर चलना बीजेपी की मजबूरी है.मंत्रिमंडल विस्तार में भले JDU के विरोध के कारण चिराग पासवान को जगह न मिल पाए लेकिन आगामी चुनाव में उन्हें साथ रखने की रणनीति पर अभी से बीजेपी काम करेगी.दरअसल, पिछले सात साल में BJP पहलीबार कमजोर दिख रही है.उसके सामने अपने पुराने सहयोगियों को बनाए रखने और नए सहयोगी खोजने की बड़ी चुनौती है.JDU को भी LJP के सांसदों को साथ लेने का कोई खास फायदा नहीं मिलने जा रहा.जो भी एलजीपी के सांसद जीते हैं ,बीजेपी-एलजेपी गठबंधन की वजह से जीते हैं.

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