सिटी पोस्ट लाइव:25 जून तक कोआर्डिनेशन कमिटी नहीं बनाने पर माइनस RJD गठबंधन बनाने के हम पार्टी सुप्रीमो जीतन राम मांझी के साथ महागठबंधन के दुसरे दल खड़े नजर नहीं आ रहे.सभी दल ये मानते हैं कि कोआर्डिनेशन कमिटी बनना चाहिए लेकिन वो ये भी मानते हैं कि माइनस RJD मजबूत गठबंधन नहीं बन सकता.महागठबंधन के घटक दलों का साथ नहीं मिलने का ये मतलब ये नहीं है कि जीतन राम मांझी फंस गए हैं.और RJD के साथ बने रहने के लिए मजबूर हैं.दरअसल, मांझी महागठबंधन का साथ छोड़ने का मन बना चुके हैं.बाकी दलों का साथ नहीं मिलने से उनके JDU में जाने का रास्ता साफ़ हो गया है.
गौरतलब है कि 25 के बाद माइनस RJD गठजोड़ बनाने के मांझी के फैसले से दुसरे घटक दल तैयार नहीं हैं. महागठबंधन की बाकी सहयोगी पार्टियों ने यह साफ कर दिया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी का कोई विकल्प नहीं. महागठबंधन (grandalliance) के दूसरे सहयोगियों ने यहां तक कह दिया कि अगर बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के खिलाफ 2020 में महागठबंधन को चुनाव जीतना है तो हर हाल में आरजेडी को साथ लेकर ही चलना होगा. कांग्रेस (Congress) से लेकर वीआईपी और वामदल ने भी स्पष्ट तौर पर कह दिया कि तत्काल बिहार में न तो कोई थर्ड फ्रंट की गुंजाइश है और न ही इसपर दांव लगाना कोई बुद्धिमानी. मतलब साफ है जीतन राम मांझी जिस बुनियाद पर आरजेडी के खिलाफ ताल ठोक रहे थे, उन्हीं सहयोगियों ने मांझी का बीच मंझधार में साथ छोड़ दिया.
लेकिन सूत्रों के अनुसार मांझी को ये बात बखूबी पता था कि कांग्रेस और RLSP हर हाल में RJD के साथ रहने को मजबूर है.उन्होंने सोच समझ कर ये अल्टीमेटम दिया था.अब उनके JDU के साथ जाने का रास्ता साफ़ हो गया है.वैसे भी पासवान की पार्टी एलजेपी नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है.ऐसे में नीतीश कुमार मांझी को साथ लेकर उनके दलित कार्ड का हवा निकलना चाहते हैं.मांझी उनके लिए सहायक साबित हो सकते हैं.सूत्रों के अनुसार मांझी और मुकेश सहनी दोनों ने कांग्रेस के साथ बातचीत करने के लिए दिल्ली जाने से मना कर दिया है.21 को ही सभी घटक दल के नेताओं की कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के साथ दिल्ली में बैठक होनी थी.
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