गांव, गरीब, किसान, मज़दूर, युवा बेरोजगार सबको निराश करने वाला बजट है : बाबूलाल
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार द्वारा विधानसभा में पेश बजट को पूर्णतः निराशाजनक एवं प्रदेश की जनता के लिये छलावा बताया है। मरांडी ने मंगलवार को कहा कि यह बजट गांव, गरीब, किसान, मज़दूर, युवा बेरोजगार सबको निराश करने वाला बजट है। राज्य की जनता का इससे कुछ भी भला होने वाला नही है। उन्होंने ने कहा कि इस बजट में न तो गरीबी दूर करने की दिशा में कोई प्रयास दिखाई पड़ता है, न ही मज़दूरों के मज़दूरी बढ़ाने पर विचार किया गया है। गरीबों, आदिवासियों के कल्याण की बात करने वाली सरकार ने मनरेगा के कार्य दिवस और मजदूरी की राशि बढ़ाने की दिशा में भी प्रयास नहीं किया। आज गांव से मजदूरी करने आये मजदूर काम के अभावमे वापस लौट जातें हैं। जिसमे सर्वाधिक संख्या दलित, आदिवासी समाज के ही लोग रहते हैं। सरकार कुछ नहीं तो मनरेगा की मजदूरी ही 300 रुपये बढ़ाकर कर देती तो गरीबों की आय में बड़ी वृद्धि होती।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने आर्थिक सर्वेक्षण को आधार माना होता, तो गरीबों की आय बढ़ाने की दिशा में सार्थक प्रावधान करती, लेकिन सरकार की सोच गरीबों के लिये नही है। उन्होंने कहा कि सरकार की ऋण माफी की घोषणा भी धोखा है। इसे श्रेणी और दायरों में सीमित करके लाखों किसानों को धोखा दिया गया है। इसके अतिरिक्त हेमंत सरकार रघुवर सरकार द्वारा चलाई गई कृषि आशीर्वाद योजना, पंप सेट वितरण योजना को बंद करने की घोषणा करके उनके उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। इस बजट ने युवाओं, बेरोजगारों को सर्वाधिक निराश किया है। युवा बेरोजगार चुनावी वायदों के अनुरूप बेरोजगारी भत्ता की आशा कर रहे थे। लेकिन उसे भी सीमाबद्ध कर मात्र खाना पूर्ति ही की गई है। पारा शिक्षकों को भी वेतनमान की घोषणा नहीं करने से वे पूरी तरह छला महसूस कर रहे हैं। मरांडी ने कहा कि कृषि प्रधान देश मे कृषि रोजगार का सबसे बड़ा क्षेत्र है। लेकिन सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिये मात्र तीन हजार करोड़ का प्रावधान करके किसानों को हताश किया है। उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। छात्राओं की तकनीकी शिक्षा के लिये मात्र 10 करोड़ का प्रावधान कोई मायने नहीं रखता, यह केवल आंखों में धूल झोंकने जैसा है। मरांडी ने कहा कि आधारभूत संरचना पर भी यह सरकार गंभीर नहींं है। ग्रामीण सड़क, ग्राम सेतु योजना, उच्च पथ निर्माण की दिशा में किए गए प्रावधान भी निराशाजनक है।
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