City Post Live
NEWS 24x7

बगावती तेवर के वावजूद JDU में बने रहेगें उपेंद्र कुशवाहा.

पार्टी में रहते हुए पार्टी की कमजोरियों पर उठाते रहेगें सवाल, महागठबंधन के लिए बने रहेगें सरदर्द.

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव :JDU के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने अब ये साफ़ कर दिया है कि उनके बगावती तेवर की वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उनकी उपेक्षा किया जाना है.उनके अनुसार पिछले दो साल में नीतीश कुमार ने उन्हें कभी पार्टी के मसले पर बातचीत के लिए नहीं बुलाया.खुद उनसे मिले और पार्टी को लेकर बातचीत करनी चाही तो उपेक्षा का भाव दिखा.जाहिर है इसी वजह से उपेन्द्र कुशवाहा कभी नीतीश कुमार के पक्ष में तो कही महागाथंधन के खिलाफ मोर्चा खोलने लगे.उनका मकसद अपनी तरफ पार्टी का ध्यान आकृष्ट करना था.

लेकिन कुछ नहीं अदला उनते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये कह दिया कि पार्टी से जाना चाहते हैं तो जल्दी चले जायें.ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उन्हें पता है कि पार्टी में रहकर पार्टी और महागठबंधन के खिलाफ बोलेगें तो नुकशान होगा.लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा इतनी आसानी से पीछा छोड़ने के मूड में नहीं दीखते हैं.उन्होंने कहा कि बड़े भाई कहने पर छोटा भाई घर छोड़ देगा तो बड़ा भाई उसका हिस्सा हड़प लेगा,ऐसा नहीं होने देगें.जाहिर है उन्होंने पार्टी में रहकर पार्टी की मुश्किल बढाने का संकेत दे दिया.

अब सवाल है कि उपेंद्र कुशवाहा खुद इस्तीफा देंगे या फिर पार्टी उनको निकालेगी? राजनीतिक पंडितों के अनुसार उपेन्द्र कुशवाहा JDU में रहकर वहां की कमजोरियों को उजागर करते रहेंगे. तब तक करेंगे जब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे बातचीत नहीं कर लेते.उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रवार को यह जरूर कहा है कि जब से उन्होंने पार्टी ज्वाइन की है, तब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार भी फोन करके उनसे बातचीत नहीं की. पार्टी उनको शो कॉज नोटिस भी नहीं दे सकती क्योंकि वो लगातार पार्टी को मजबूत करने के बहाने पार्टी नेत्रित्व पर निशाना साध रहे हैं.

उपेंद्र कुशवाहा बार-बार यह कह रहे हैं कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे, तो उसकी वजह केवल ये है कि वो JDU के संस्थापक सदस्य हैं. इस हालात में JDU पर नीतीश कुमार के बराबर का हक रखते हैं.इसके बावजूद जब स्थिति यह बन सकती है कि उपेंद्र कुशवाहा को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए तो, ऐसे में वो तर्क दे सकते हैं कि उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा है. उन्होंने पार्टी को मजबूत करने की बात कही है. पार्टी जहां कमजोर हुई है, उसकी बात रखी है.जब उन्होंने 2021 में पार्टी की सदस्यता ली थी, तभी कहा था उनका लक्ष्य जदयू को नंबर एक बनाने का है.जाहिर है उपेंद्र कुशवाहा को बाहर का रास्ता दिखाना आसान नहीं होगा.

पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा को निकालने का बड़ा डिसीजन भी ले लिया तो ऐसे में JDU में विभाजन का डर है.अगर ऐसा हुआ तो उपेंद्र कुशवाहा की बिहार विधान परिषद की सदस्यता बरकरार रह जाएगी. क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा पर पार्टी विरोधी गतिविधि का आरोप नहीं टिकेगा.इसके बावजूद अगर वह ह्वीप का उल्लंघन करेंगे, तब उनकी सदस्यता जाएगी. नहीं तो, पार्टी से हटाए जाने के बाद बिहार विधान परिषद के वह सदस्य रह सकते हैं.JDU के पास उपेंद्र कुशवाहा को लेकर बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है. ना ही JDU उन्हें निकाल सकती है और ना ही JDU उन्हें पार्टी की बैठकों में शामिल करेगी. उन पर किसी तरह की पार्टी विरोधी गतिविधि का आरोप भी नहीं लगाया जा सकता. इसलिए ज्यादा संभावना है कि यह सब यूं ही चलता रहेगा.

- Sponsored -

-sponsored-

-sponsored-

Comments are closed.