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उपेंद्र कुशवाहा ने किया सरेंडर, मझदार में फंस गए मांझी, क्या करेगें?

कुशवाहा ने कहा-सीएम पद के स्वभाविक उम्मीदवार हैं तेजस्वी, सीट शेयरिंग पर बातचीत शुरू.

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सिटी पोस्ट लाइव :  बिहार में महागठबंधन में शामिल छोटे दलों की एकता और एकजुटता ख़त्म हो चुकी है.सबसे पहले तेजस्वी यादव ने वीआइपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी को भरोसे में लेकर घटक दलों की तिकड़ी समाप्त कर दी और अब उपेन्द्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव के सामने सरेंडर कर दिया है.अब जीतन राम मांझी अकेले मझदार में फंस गए हैं.जब मांझी ही मझदार में फंस जाए तो भला उसे कौन बचाए. अब उपेंद्र कुशवाहा ने अब अपना स्टैंड बदल दिया है.उन्होंने कहा है कि उन्हें सीएम पद पर तेजस्वी यादव की दावेदारी पर कोई एतराज नहीं है. कुछ दिनों पहले तक कुशवाहा और जीतन राम मांझी जैसे नेता कह रहे थे कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा ये चुनाव के बाद तय किया जायेगा.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने कभी मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव की दावेदारी का विरोध नहीं किया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा है कि महागठबंधन के सभी दलों को साथ बैठ कर इस पर फैसला लेना चाहिये. कुशवाहा ने कहा कि ये कहना गलत है कि महागठबंधन में अतंर्कलह है. ऐसा टकराव तो एनडीए में भी देखने को मिल रहा है. महागठबंधन में एकता है और सारे मामले समय रहते सुलझा लिये जायेंगे.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर बातचीत शुरू हो गयी है. हालांकि इसमें अभी समय लगेगा लेकिन गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच चर्चा शुरू हो गयी है. ये पूछे जाने पर कि आरजेडी ने 150 सीटों पर दावा ठोंका है, कुशवाहा ने कहा कि पार्टियां अलग अलग दावे कर सकती हैं लेकिन सीट शेयरिंग सभी पार्टियों को ध्यान में रखकर होगा. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वे सीपीआई को महागठबंधन में शामिल करने के पक्षधर हैं. सीपीआई ही नहीं बल्कि सभी लेफ्ट पार्टियों को महागठबंधन में शामिल किया जाना चाहिये. लेकिन सीपीआई और कन्हैया कुमार में फर्क है. महागठबंधन में सीपीआई का महत्व है. कन्हैया कुमार उस पार्टी के एक नेता हो सकते हैं. कुशवाहा ने कहा कि वे कन्हैया कुमार को मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं मानते हैं. कन्हैया कुमार भीड़ को इकट्ठा करने वाले नेता हैं लेकिन उन्हें अभी सीएम पद का दावेदार मान लेना काल्पनिक बात है. उधर उपेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी के उलट बिहार में तय समय पर चुनाव कराने की मांग कर दी है. उन्होंने कहा कि बिहार में तय समय पर चुनाव होने चाहिये ताकि जनता को नीतीश कुमार से छुटकारा मिल सके. कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने कभी चुनाव आयोग से चुनाव टालने की मांग नहीं की है.  चुनाव आयोग से इतना जरूर कहा है कि वह निष्पक्ष चुनाव कराने की व्यवस्था करे. चुनाव इस तरीके से कराये जायें कि आम लोगों की जान पर कोई खतरा नहीं हो. हम चुनाव लडने के लिए तैयार हैं.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि चुनाव प्रचार में सभी पार्टियों को बराबर मौका मिलना चाहिये. अगर डिजिटल तरीके से प्रचार होगा तो बीजेपी और जेडीयू को फायदा मिलेगा. इन दोनों पार्टियों के पास अपार पैसा है, वे एक डिजिटल रैली पर करोड़ों खर्च कर सकते हैं. गरीब पार्टियां इतना खर्च नहीं कर सकतीं. ऐसे में चुनाव मजाक बन कर रह जायेगा. चुनाव आयोग को तय करना होगा कि सभी पार्टियों को बराबर का मौका मिले.जाहिर है अब मांझी के लिए दो ही रस्ते हैं.पहला वो भी उपेन्द्र कुशवाहा की तरह तेजस्वी यादव के सामने सरेंडर कर दें या फिर नीतीश कुमार की शरण में चले जाएँ.सूत्रों के अनुसार दुसरे आप्शन पर मांझी गंभीरता से विचार कर रहे हैं.

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