एनडीए की खिचडी के मुकाबले के लिए उपेन्द्र कुशवाहा पका रहे हैं राजनीतिक खीर
यदुवंशी के दूध और कुशवंशी के चावल से 'स्वादिष्ट खीर' बनाएंगे उपेंद्र कुशवाहा
सिटी पोस्ट लाइव( सोमनाथ ) : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा आगामी चुनाव को देखते हुए एक नए राजनीतिक समीकरण बनाने में जुटे हैं. ये समीकरण एनडीए के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है. उपेन्द्र कुशवाहा राजनीतिक खिचडी के मुकाबले के लिए एक नयी राजनीतिक खीर बना रहे हैं. इस खीर की खासियत ये होगी कि इसमे यदुवंशी दूध में कुशवंशी चावल पकेगा. ‘खीर पॉलिटिक्स’ के जरिए बिहार के सत्ता पर काबिज होने की तैयारी कर रहे उपेन्द्र कुशवाहा ने शनिवार को बीपी मंडल की 100वीं जयंती के मौके पर कहा कि यदुवंशियों (यादव) के दूध और कुशवंशियों ( कोइरी) के चावल मिल जाये तो खीर बनने में देर नहीं लगती है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमलोग सधारण परिवार से आते हैं. साधारण परिवार में जिस दिन घर में खीर बनता है तो दुनिया का सबसे स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है.खीर में पंचमेवा की जरुरत को अति पिछड़ा, गरीब और दलित-शोषित लोग पूरा करेंगे. चीनी शंकर झा आजाद मिलाएंगे. तुलसी दल भूदेव चौधरी के यहां से ले लाएंगे. जुल्लीफार अली के यहां के दरस्तखान ले आएंगे और फिर सभी लोग मिलकर स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद लेंगे.
कुशवाहा के इस बयान के बाद उनकी पार्टी के आरजेडी के साथ जाने को लेकर चल रही अटकलें बहुत तेज हो गेन हैं. गौरतलब है कि तेजस्वी यादव पिछले कुछ महीनों से लगातार उपेन्द्र कुशवाहा को महागठबंधन में शामिल होने का न्यौता दे रहे हैं. पिछले सप्ताह वो वैशाली के जंदाहा में भी तेजस्वी यादव पहुंचे थे ,जहाँ उपेन्द कुशवाहा के पार्टी के नेता प्रखंड प्रमुख मनीष की हत्या हो गई थी. इस हत्याकांड को लेकर उपेन्द्र कुशवाहा भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तगड़ा निशाना साध चुके हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच बढ़ती नजदीकियां एक अलग राजनीतिक समीकरण का संकेत दे रही हैं. बीपी मंडल जयंती के मौके पर कुशवाहा ने नयी राजनीतिक खीर बनाने के फार्मूला देकर एनडीए की चिंता बढ़ा दी है.
आरजेडी- रालोसपा के एक होने में सबसे बड़ी बाधा उपेन्द्र कुशवाहा की मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा है, जिसे आरजेडी देने को तैयार नहीं है. हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी भी बार बार ये दुहरा चुके हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा का महागठबंधन में स्वागत है लेकिन इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी का मोह छोड़ना होगा. मुख्यमंत्री तो तेजस्वी यादव ही होगें. लेकिन ऐसा मन जा रहा है कि अगर लोक सभा चुनाव में सीटों के बटवारे को लेकर उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए से अलग राह अपना सकते हैं .वो लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं. उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार का चेहरा मंजूर नहीं है. वो नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने की नसीहत भी दे चुके हैं.
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