JDU-RJD को उपेन्द्र कुशवाहा ने दी नसीहत.
क्या हार में, क्या जीत में ,किंचित नहीं भयभीत मं,कर्तव्य पथ पर जो मिला, यह भी सही, वो भी सही,"
सिटी पोस्ट लाइव :कुढ़नी विधान सभा सीट के लिए हुए उप चुनाव में JDU की हार और BJP की जीत के बड़े सियासी मायने हैं.RJD की जीती हुई सीट से JDU लड़ी और हार गई.जब JDU NDA के साथ था तब भी BJP इस सीट को नहीं जीत पाई थी.लेकिन अब जब नीतीश कुमार RJD के साथ हैं RJD की जीती हुई सीट हार गये.मतलब साफ़ है कि RJD समर्थकों का भरपूर समर्थन JDU को नहीं मिला.JDU के बड़े नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने इस हार के बाद जो ट्विट किया है उसके सियासी मायने साफ़ हैं.
उपेन्द्र कुशवाहा ने ट्वीट किया है-क्या हार में, क्या जीत में ,किंचित नहीं भयभीत मं,कर्तव्य पथ पर जो मिला, यह भी सही, वो भी सही,” आगे उपेन्द्र कुशवाहा लिखते हैं-“कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सिखने की जरुरत है.पहली सीख-“जनता हमारे हिसाब से नहीं ,हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा”. उपेन्द्र कुशवाहा के इस संदेश का मतलब साफ़ है कि JDU-RJD के साथ होने से उसके कार्यकर्त्ता साथ नहीं हो पाए हैं.नेता भले हाथ मिला लें लेकिन हमेशा एक दुसरे के खिलाफ लड़नेवाले कार्यकर्त्ता अभी ठीक से इस दोस्ती को नहीं पचा पाये हैं.
ये तो एक सीट का उप-चुनाव था लेकिन माना जा रहा था आगामी लोक सभा चुनाव का सेमी फाइनल.जिस तरह से उप-चुनाव में JDU RJD की सीट से लड़ा तो RJD समर्थकों का उसे भरपूर साथ नहीं मिला अगर इसी तरह का ट्रेंड आगामी लोक सभा, विधान सभा चुनाव में भी रहा तो JDU का क्या होगा?RJD JDU के साथ होने के वावजूद गोपालगंज चुनाव हर गई और RJD के साथ होने के वावजूद JDU कुढ़नी में हर गई.क्या दोनों दल के कार्यकर्ता नीतीश कुमार और तेजस्वी की इस दोस्ती को पचा नहीं पा रहे या एक दुसरे पर भरोसा नहीं कर रहे?
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