उप्र: मुख्यमंत्री के विभाग में एक ही पद के पदोन्नती के लिए दो नियमावली

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सिटी पोस्ट लाइव, लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के वाणिज्य कर विभाग में पहली जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद मनोरंजन कर विभाग का मर्जर कर दिया गया। लेकिन, दोनों विभागों के मर्जर के बाद अभी तक ‘आमेलन नियमावली’ न बन सकी, जिसके कारण एक विभाग तीन साल से कार्य तो जीएसटी एक्ट के अनुसार कर रहे हैं, परन्तु पदोन्नती में लाभ उठाने के लिए मनोरंजन कर के अधिकारियों के पदोन्नती के लिए उनकी अलग नियमावली अनुमोदित की गई है। दो नियमावली की विसंगति के चलते वाणिज्य कर विभाग में प्रमोशन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। गौरतलब है कि वाणिज्य कर विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है। इस विभाग में 01 जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू होने के पश्चात मनोरंजन कर विभाग का मर्जर(विलय) किया गया।
उप्र वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ का आरोप है कि आमेलन नियमावली के न बनने से विभाग में मर्ज हुए मनोरंजन कर के अधिकारी मनमाने ढंग से अपनी पुरानी नियमावली अनुमोदित करवा कर अपना हर वर्ष प्रमोशन करवा रहे हैं। वहीं विभाग के मूल अधिकारी कई वर्षों से प्रोन्नति के लिए तरस रहे हैं। संघ का कहना है कि इस विभाग में व्याप्त इस विसंगति के चलते 25 जून को एक बार फिर मनोरंजन कर अधिकारियों की असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर प्रोन्नति होने जा रही है। संघ का कहना है कि जब विभाग एक है तो नियमावली दो क्यों? जबकि जीएसटी की मूल भावना ही ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की है।
 संघ के अध्यक्ष सुनील वर्मा ने बुधवार को यहां बताया कि यद्यपि वाणिज्य कर अधिकारी से असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर प्रमोशन के लिए लगभग 202 पद खाली हैं, लेकिन पदोन्नति का यह लाभ वाणिज्य कर अधिकारियों को नहीं दिया जा रहा है। उनका कहना है कि वाणिज्य कर अधिकारी राजस्व संग्रहण में सबसे प्रमुख भूमिका निभाते हैं, फिर भी विभाग में उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उप्र वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ के पदाधिकारियों ने अपनी इस पीड़ा को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से लेकर उप्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तक पहुंचाई है। संघ ने अपने प्रत्यावेदन की प्रतियां अपर मुख्य सचिव कार्मिक, अपर मुख्य सचिव राज्य कर और कमिश्नर वाणिज्य कर को भी दी है, लेकिन अभी तक उनके प्रत्यावेदन पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है। संघ के अध्यक्ष ने कहा कि विभाग के मूल अधिकारियों के साथ इस तरह हो रही उपेक्षा से वे काफी निराश और आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि यदि विभागीय प्रोन्नति के मामले में समानता का भाव दिखाते हुए वाणिज्य कर अधिकारियों को न्याय न मिला तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
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