भीख मांगकर जीवन यापन करनेवाली महिलायें बनी समाज के लिए एक मिसाल
भीख मांगकर गुजर-बसर करने वाली महिलाओं ने गरीबी के बावजूद अपने घरों में शौचालय बनवाया
भीख मांगकर जीवन यापन करनेवाली महिलायें बनी समाज के लिए एक मिसाल
सिटी पोस्ट लाइव ( आकाश ) : बिहार में 13 करोड़ रुपये का शौचालय घोटाला सामने आ चूका है.पटना के जिला अधिकारी द्वारा इस सम्बन्ध में दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार शौचालय बनाने का पैसा सीधे लाभार्थी के खातों के बदले कुछ एनजीओ और दो व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर किया गया.ये घोटाला लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग का है और इसके मुख्य आरोपी हैं विनय कुमार सिन्हा जिन्होंने कार्यपालक अभियंता रहते हुए 2012 से 2015 तक दस हज़ार शौचालय के नाम पर पैसे का बंदरबाँट किया.
एक तरफ सरकारी बाबू शौचालय घोटाला करने में जुटे हैं दूसरी तरफ गोपालगंज की कोंहवा पंचायत की भीख मांगकर गुजारा करने वाली दो महिलाओं ने अपने घरों में शौचालय बनवा कर एक मिसाल कायम कर दिया है. 55 वर्षीय मेहरून खातून और 60 वर्षीय जगरानी देवी को इसके लिए स्वच्छता अभियान के लिए सम्मानित किया गया है. गोपालगंज में गुरुवार को सदर प्रखंड के कोंहवा पंचायत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया. इस मौके पर डीएम ने ईन दो महिलाओं को सम्मानित किया.
केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत मिशन और बिहार सरकार की लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत खुले में शौच से मुक्ति का अभियान गांव-गांव चलाया जा रहा है. इन दोनों महिलाओं ने भी इस अभियान को देखा और इससे इतनी प्रभावित हुईं कि अपनी जमापूंजी घरों में टॉयलेट निर्माण में लगा दी.पंचायत में नजीर पेश करने वाली इन दो महिलाओं को डीएम अनिमेष कुमार पराशर ने कोंहवा पंचायत को ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) घोषित करने के मौके पर न सिर्फ सम्मानित किया, बल्कि आम लोगों से भी इनसे सबक लेने की अपील की.
सम्मानित होने के बाद मेहरून खातून ने कहा कि भीख मांगकर परिवार चलाने के कारण उन्हें कभी सम्मान नहीं मिला. लोग नीची निगाह से देखा करते थे लेकिन स्वच्छ भारत अभियान के लिए इस पहल ने उनका दर्जा बढ़ा दिया है. लोग अब सम्मान की नजरों से देख रहे हैं. जगरानी देवी ने भी निपट गरीबी के हालातों के बावजूद शौचालय बनवाकर मिसाल कायम की. भीख मांगकर गुजरा करनेवाली ये दोनों ही महिलायेन अब समाज के लिए एक मिसाल बन गयी हैं.इन्होने ये साबित कर दिया है कि स्वच्छता के लिए बस जज्बे की जरुरत है, न कि सिर्फ पैसों की.
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