सिटी पोस्ट लाइवः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी में बड़ी सेंधमारी हुई है। पार्टी के पांच विधानपार्षद पार्टी छोड़कर जेडीयू में शामिल हो चुके हैं। इन पांच विधानपार्षदों में एक पार्टी के प्रधान महासचिव कमरे आलम भी थे जिन्होंने आरजेडी छोड़कर जेडीयू का दामन थाम लिया। राजद के प्रधान महासचिवों को लेकर एक संयोग भी सामने आया है। संयोग यह है कि आरजेडी के दो प्रधान महासचिव पार्टी छोड़कर दूसरे दल में जा चुके हैं। कमरे आलम से पहले रामकृपाल यादव भी राजद के प्रधान महासचिव रहे हैं और 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था। रामकृपाल यादव और कमरे आलम के बाद अब पार्टी के नये प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्धकी को लेकर यह कयास लग रहे हैं कि वे भी पार्टी छोड़ सकते हैं।
अब्दुल बारी सिद्धकी पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरा हैं और लालू यादव के बेहद करीबी नेताओं में से एक हैं ऐसे में इन कयासों में कितना दम है यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन कभी-कभार अब्दुल बारी सिद्धकी की नाराजगी की खबरें आती रही है। एक बार तो सिद्धकी ने फेसबुक पोस्ट के जरिए तेजस्वी को इगो त्यागने की नसीहत दे दी थी लेकिन बाद में उन्होंने अपना पोस्ट डिलिट कर लिया था। विधान पार्षद कमरे आलम के आरजेडी छोड़ने के बाद आरजेडी के प्रधान महासचिव का पद खाली था और अब इस पर एक बार फिर अल्पसंख्यक के चेहरे को जिम्मेदारी दी गई है।
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खासमखास रहे अब्दुल बारी सिद्दीकी साल 1977 में बिहार के बहेड़ा विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने ।अब्दुल बारी सिद्दीकी महागठबंधन की सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं। साल 1992 में वे एमएलसी चुने गये थे और साल 1995 में एमएलए बने। इसके बाद लगातार 2000, 2005 और 2010 में विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। बिहार सरकार में वर्षों तक कई विभागों के मंत्री भी रहे। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी रह चुके हैं। वे लगातार छह बार और कुल सात बार विधायक और एक बार विधान पार्षद चुने जा चुके हैं। वर्तमान में वे दरभंगा के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
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