मज़दूरों को दूसरे राज्यों से लाने के लिए चलेगी ट्रेन, रेलवे किराया भी वसूलेगा
सिटी पोस्ट लाइव : एक दिन पहले तक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केवल बसों के ज़रिए ही दूसरे राज्यों में फँसे आप्रवासी मज़दूरों को लाने ले जाने का निर्देश दिया था. बिहार समेत सभी राज्यों ने बसों से लोगों को लाने में असमर्थता जताते हुए विशेष ट्रेनें चलाने की मांग की थी. इस मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने अगले ही दिन, अपना फैसले पलट दिया. ताज़ा फैसले के मुताबिक़, रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों के लिए भी स्पेशल ट्रेन चलाएगी. गृह मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम में दो दिन में दूसरी बार संशोधन करते हुए इसका रास्ता साफ़ किया.इसके लिए रेल मंत्रालय एक नोडल अफ़सर तैनात करेगी, जो राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस दिशा में काम करेगा की कैसे अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचाया जा सके.
गृह मंत्रालय ने इस बारे में नया ऑर्डर निकाला है. ऑर्डर में लिखा है कि रेल मंत्रालय इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए नए दिशानिर्देश जारी करेगा जिसमें टिकट बिक्री, सोशल डिस्टेंसिग और सुरक्षा के लिहाज़ से उठाए जाने वाले क़दमों की विस्तृत जानकारी होगी.इसका मतलब साफ़ है कि घर जाने के इंतज़ार में दूसरे राज्यों में बैठे मज़दूरों से किराया भी वसूला जाएगा.
केन्द्र सरकार का नया फ़रमान आते ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर जानकारी दी की झारखंड के छात्रों के लेकर दूसरी ट्रेन आज ही राजस्थान के कोटा से रवाना होगी.रेल मंत्रालय ने फंसे मज़दूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेन का नाम ‘श्रमिक ट्रेन’ रखा है. एक मई को ऐसी छह ट्रेनें चलाई जाएंगी.ज़ाहिर है बाकी राज्यों से भी मांग पहले से उठ रही है. वो सभी राज्य रेल मंत्रालय के संपर्क में हैं. जैसे-जैसे ट्रेन के डिब्बों और राज्यों की मंज़ूरी मिलेगी, रेलवे दूसरे राज्यों से भी लोगों को निकाल कर घर पहुंचाना शुरू करेगी.आज तड़के सुबह 4: 50 बजे तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के हटिया के लिए एक स्पेशल ट्रेन 1200 प्रवासियों को लेकर चल दी है.
दरअसल 29 तारीख़ को गृह मंत्रालय के आदेश के तुरंत बाद ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रेस वार्ता में साफ़ कहा था, “हर राज्य में फँसे मज़दूरों, छात्रों, टूरिस्ट और तीर्थ यात्रियों को अकेले लाने में राज्य सरकार सक्षम नहीं है. हमारे पास सीमित संसाधन हैं. हमारे पास ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन भी नहीं है. अगर हम कहीं से बसों की व्यवस्था भी करते हैं तो हमें अपने मज़दूरों को लाने में ही 6 महीने का वक़्त लग जाएगा.”राज्य सरकार का आकलन है कि उनके तकरीबन 5 लाख मज़दूर, छात्र, तीर्थ यात्री दूसरे राज्यों में फँसे हैं.इस समस्या को लेकर हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात भी की थी और उन्होंने इसकी जानकारी ट्विटर पर साझा की.
ऐसी ही गुज़ारिश महाराष्ट्र, राजस्थान और केरल सरकार ने भी की है. नए सरकारी आदेश से अब दूसरे राज्यों के लिए भी रास्ता साफ़ हो जाएगा. हालांकि पहली स्पेशल ट्रेन चलाने के बाद रेलवे ने कहा था ये अनुरोध तेलंगाना सरकार का था.स्पष्टीकरण में आगे कहा गया है, “आज सुबह एक स्पेशल ट्रेन तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के हटिया के लिए तेलंगाना सरकार के निवेदन पर रेल मंत्रालय के आदेश पर चलाई गई. इस दौरान सारे एहतियात बरते गए. पैसेंजर की स्क्रीनिंग की गई, स्टेशन और ट्रेन दोनों पर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया गया. ऐसी केवल एक ही ट्रेन चलाई गई है. और आगे की ट्रेनें रेल मंत्रालय के आदेश पर ही चलाई जाएंगी, लेकिन इसके लिए दोनों जगहों की राज्य सरकारों की स्वीकृति की ज़रूरत होगी.”
सवाल ये भी उठ रहा है कि 1200 लोगों के साथ एक ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे कर रही है सरकार? तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के हटिया की दूरी लगभग 1300 किलोमीटर की है.दरअसल, ये पूरी ट्रेन 24 कोच की स्लीपर ट्रेन है. वैसे हर कोच में 72 लोगों की अमूमन बैठने की व्यवस्था होती है. लेकिन इस स्पेशल ट्रेन में एक कोच में 50 लोगों को ही लाया जा रहा है.
ट्रेन की शुरुआती तस्वीरें समाचार एजेंसी एएनआई ने भेजी है, जिसके मुताबिक़ ट्रेन के डिब्बों में मिडिल बर्थ ख़ाली है. इस ट्रेन को हर स्टेशन पर रुकने की इजाज़त भी नहीं दी गई है.ये नॉन स्टॉप ट्रेन है जो सिर्फ़ ऑपरेशल हॉल्ट ही लेगी. ट्रेन में पैसेंजर को खाना और पानी सब मुहैया कराया जाएगा. ट्रेन विलासपुर, रायगढ़, झारसुगुड़ा होते हुए हटिया पहुंचेगी.स्पेशल ट्रेन में दिन का सफ़र इसलिए रखा है, ताकि बेड रोल का इस्तेमाल ना किया जा सके. इससे संक्रमण का ख़तरा कम होगा.
Comments are closed.