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पारंपरिक धर्मगुरुओं को जनवरी से सम्मान राशि मिलने के साथ पहचान पत्र भी मिलेगा : रघुवर

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पारंपरिक धर्मगुरुओं को जनवरी से सम्मान राशि मिलने के साथ पहचान पत्र भी मिलेगा : रघुवर

सिटी पोस्ट लाइव, रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति के सरंक्षण के लिए कृतसंकल्पित है। विदेशी शक्तियां हमारी संस्कृति को नष्ट करने पर तुली है, लेकिन हमारी सरकार उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी। हमारी परंपरा और संस्कृति को बचाये रखनेवाले हमारे पारंपरिक धर्म गुरुओं को जनवरी से सम्मान राशि मिलनी शुरू हो जायेगी। विभाग से चर्चा कर उन्हें पहचान पत्र निर्गत करने की भी प्रक्रिया शुरू की जायेगी। रविवार को वे मुख्यमंत्री आवास में बोकारो जिला से आये आदिवासी पारंपरिक व्यवस्था के प्रतिनिधि माझी हड़ाम, नायकी, जोगमाझी, भोदरन और कुड़ाम नायके को संबोधित कर रहे थे। प्रतिनिधियों की रजरप्पा में भवन की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां एक तीन मंजिला इमारत बन रही है, जहां सस्ती दर पर ठहरने व खाने की व्यवस्था रहेगी। राज्य में घेराबंदी से बचे बाकी धार्मिक व पारंपरिक स्थलों की घेराबंदी के लिए अगले साल के बजट में प्रावधान किया जायेगा। अपनी परंपरा और संस्कृति को बचाये रखने के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा। विदेशी शक्तियां उनकी परंपरा और संस्कृति को नष्ट करने में लगी हुई है। लालच, भय, अंधविश्वास आदि के चक्कर में कोई धर्म परिवर्तन न कराये, इसके लिए सरकार ने कानून बनाया है। आदिवासी समाज के प्रबुद्ध लोग भी इस बारे में जागरुकता फैलायें। लुगु बुरु मेले को राजकीय मेला घोषित किया है। वहां टेंट सिटी बनायी जा रही है, ताकि हमारे आदिवासी श्रद्धालुओं को खुले आसमान के नीचे रात न बितानी पड़े। वहां पानी, बिजली आदि की व्यवस्था की जा रही है। राज्य पर पलायन का कलंक लगा हु‍आ है। हमारी बच्चियों का आर्थिक और शारीरिक शोषण होता है। किसी सरकार ने उनकी सुध नहीं ली। हमारी बेटियों का पलायन न हो, इसके लिए हमारी सरकार काम कर रही है। उन्हें यहीं रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया गया है। इसके नतीजे दिख रहे हैं। राज्य के आदिवासी युवाओं को आर्थिक सहायता देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया जा रहा है। कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता लखी हेंब्रम, आनंद मुर्मू समेत बड़ी संख्या में गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

मातृभाषा सर्वोपरि, अगले साल से ओल चिकी भाषा में शुरू होगी पढ़ाई
सीएम ने कहा कि सरकार का मानना है कि मातृभाषा सर्वोपरि है। सरकार इसे बढ़ावा दे रही है। हमें अपने भाषा, सभ्यता, संस्कृति और परंपरा को छोड़ना नहीं है। 2019 से ओल चिकी भाषा में स्कूलों में पढ़ाई शुरू कर दी जायेगी। इसके लिए किताबें छपकर आ गयी है। अभी पहली और दूसरी कक्षा में इसकी पढ़ाई होगी। आनेवाले दिनों में पांचवीं तक ओल चिकी भाषा में पढ़ाई होगी। स्कूलों में स्थानीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी चल रही है। ओल चिकी के अलावा कुडुख, मुंडारी आदि भाषाओं के शिक्षकों की भी नियुक्ति की जा रही है, ताकि हमारे बच्चे अपनी भाषा में पढ़ाई कर सकें।

आदिवासियों की जमीन लूटनेवाले ही मुझ पर लगाते हैं आरोप
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग ये आरोप लगाते हैं कि सरकार उनकी जमीन लूट लेगी। चार साल के शासन में एक भी इंच जमीन नहीं ली गयी है। जो लोग आदिवासियों का शोषण करते हैं, जिन लोगों ने राज्य में हर जगह आदिवासियों की जमीन औने-पौने दाम में खरीदी है, वे ही आज हम पर आरोप लगा रहे हैं। चुनौती देता हूं कि मेरा जमशेदपुर में एक घर के अलावा कोई संपत्ति बताये। 1995 से विधायक हूं, लेकिन गड़बड़ी नहीं की। वहीं हम पर आरोप लगानेवाले नेताओं में आदिवासियों की संपत्ति के लुटेरों का नाम और उनके द्वारा पूरे राज्य में अर्जित की गयी संपत्ति की सूची है। वे नहीं चाहते है कि आदिवासियों का विकास हो। आदिवासी पढ़-लिख गये, तो उनकी वोट बैंक की राजनीति समाप्त हो जायेगी।

धर्मगुरुओं ने की मुख्यमंत्री के कामों की सराहना, माझी हड़ाम उपाधि से संबोधित किया
कार्यक्रम के दौरान बोकारो से आये परंपरागत धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें राज्य के माझी हड़ाम की उपाधि से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयास से आदिवासी परंपरा को मजबूती मिलेगी। उनके रीति रिवाज कायम रहेंगे। गांव की पारंपरिक प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलेगी। प्रतिनिधिमंडल ने लुगु बुरू मेले को राजकीय महोत्सव के रूप में मान्यता देने पर विशेष तौर पर बधाई दी।

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