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कोरोना की तीसरी वेव से बच्चों को बचाने की नहीं है बिहार में तैयारी

एंबुलेंस समेत जिन 5 चीजों की सबसे ज्यादा कमी रही, उसे लेकर अभी शुरू नहीं है कोई तैयारी

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सिटी पोस्ट लाइव: कोरोना की दूसरी वेव ने बिहार में जमकर तबाही मचाई. हजारों लोग काल के गाल में समा गये. अब तीसरी वेव आई तो फिर से हजारों लोगों की जान जा सकती है. दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन, एम्बुलेंस, अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर और कोरोना की दवाएं उपलब्ध कराने में सरकार विफल रही. तीसरी लहर में भी दवाइयों और ऑक्सीजन की कमी के कारण हजारों लोगों की जान जा सकती है. दरअसल, कोरोना संक्रमण घटने के साथ ही सरकार सुस्त पड़ गई है.संक्रमण की रफ्तार कम होने के साथ ही विभाग अब रिलैक्स मोड में है. बिहार में दूसरी लहर आई और हेल्थ सिस्टम की पोल खुल गई. तीसरी लहर आई तो व्यवस्था में कमी के कारण लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है.

तीसरी लहर में सबसे अधिक बच्चों को खतरा होने की बात सामने आ रही है लेकिन बिहार में बच्चों की सेहत को लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था खस्ता हाल है.तीसरी लहर में कोरोना का खतरा बच्चों पर अधिक होगा. बिहार में बच्चों को लेकर कोई तैयारी नहीं है.पटना AIIMS के ट्रामा इमरजेंसी व टेलीमेडिसिन के हेड डॉक्टर अनिल ने कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के बचाव का फार्मूला तैयार किया है. इस पर काम करने के लिए पूरी योजना बनाई थी, लेकिन इस पर भी कोई अमल नहीं किया जा रहा है. डॉ. अनिल ने 4 मूल मंत्र बताया है जिससे कोरोना के संक्रमण से मासूमों की जान का खतरा टाला जा सकता है. उन्होंने अपने प्लान को VHIT का नाम दिया है. इसमें ट्रिपल कॉन्सेप्ट ऑफ वैक्सीनेशन, हॉस्पिटल सेटअप, इम्यूनिटी और ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल को शामिल बताया लेकिन इस पर कोई अमल नहीं किया गया.

डॉक्टर अनिल के मुताबिक कोरोना के सामान्य मरीजों से बच्चों का इलाज थोड़ा अलग होगा. सामान्य मरीजों को हॉस्पिटल में अगर 6 बेड हैं तो 6 पर उन्हें लिटा देते हैं, क्योंकि इसमें मरीज के पेशेंट को नहीं रहने दिया जाता और उनकी कोई जरूरत भी नहीं होती है. कोरोना संक्रामक बीमारी है इस कारण से मरीजों के साथ अटेंडेंट के रहने का प्रावधान ही नहीं है. लेकिन बच्चों के लिए बेड की संख्या कम करनी होगी क्योंकि उसके साथ एक अटेंडेंट को रहना आवश्यक होगा. ऐसे में दो बेड के बीच में दूरी रखनी होगी. कारण है कि बच्चे खुद से अपना मास्क नहीं लगा सकते हैं और उन्हें अन्य स्पोर्ट की भी जरूरत होगी. दो बेड के बीच में जगह छोड़नी पड़ेगी जिससे बच्चों के पैरेंटस रहकर उनकी देखभाल कर सकें. ऐसा करने पर हर हॉस्पिटल में बेडों की संख्या कम हो जाएगी. इसे देखते हुए कम्युनिटी लेबल पर ज्यादा से ज्यादा बेड बढ़ाने की तैयारी होनी चाहिये.

कोरोना की दूसरी लहर में जब हाहाकार मचा तो सरकार ने 27698 बेड की व्यवस्था की. कोरोना का मामला इस समय काफी कम हो गया है. इसके बाद भी 1557 बेड भरे हैं. बिहार में इस समय कुल 26141 बेड खाली हैं. बिहार में ICU के 2180 बेड हैं. मौजूदा समय में 462 बेड ICU के उस समय व्यस्त हैं जब कोरोना का मामला नहीं के बराब.। इस समय 1718 बेड ICU के खाली है.डेल्टा + वेरिएंट को लेकर भी सरकार गंभीर नहीं है.डेल्टा + वेरिएंट को लेकर कोरोना की तीसरी लड़ाई मुश्किल होने वाली है लेकिन बिहार में इसे लेकर कोई बड़ी रणनीति नहीं दिख रही है. बच्चों को लेकर बनाए गए वार्ड में कोई तैयारी नहीं है. पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में शिशु रोग विभाग में व्यवस्था जर्जर है. बच्चों को लेकर सरकार के पास कोई अलग से विशेष इंतजाम नहीं है. वायरस के इस नए वेरिएंट से पूरा देश अलर्ट मोड पर है लेकिन बिहार में स्वास्थ्य विभाग कोरोना की दूसरी लहर को कम करने की वाहवाही में जुटा है.

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