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गंगा किनारे 24 घंटे जल रहीं चिताएं, सीधे नदी में बहाए जा रहे कई शव.

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सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना से होनेवाली मौतों में कमी आने का दावा भले सरकार कर रही है लेकिन लेकिन जिस तरह से राज्य के शमशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए भीड़ उमड़ रही है, उससे साफ़ है कि मरनेवालों की तादाद बहुत ज्यादा है.बक्सर चरित्रवन में शवदाह के लिए जगह नहीं बची है.  गांवों में पिछले एक-डेढ़ महीने से मौतें अचानक बढ़ गई हैं. मरने वाले सभी खांसी-बुखार से पीड़ित थे. चौसा श्मशान घाट पर आने वाले अधिकतर शवों को गंगा में डाल दिया जा रहा है. इनमें से सैकड़ों शव किनारे पर सड़ रहे हैं.

चरित्रवन और चौसा श्मशान घाट पर दिन-रात चिताएं जल रही हैं. कब्रिस्तानों में लोग दिन रात दफ़न हो रहे हैं .पहले जहां चौसा श्मशान घाट पर प्रतिदिन दो से पांच चिताएं जलती थीं, वहीं अब 40 से 50 चिताएं जलाई जा रही हैं. बक्सर में यह आंकड़ा 90-100 के आसपास पहुँच गया है.चरित्रवन श्मशान घाट पर एक बार में 10 से अधिक शवदाह हो रहे हैं. यहां दिन-रात चिताएं जल रही हैं. चौसा में भी यही हाल हैं. रविवार को बक्सर में 76 शव सरकारी आंकड़ों में दर्ज हुए, जबकि 100 से अधिक दाह-संस्कार हुए. रोजाना 20 से अधिक लोग शमशान घाट में रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराते हैं. चौसा में भी 25 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें सात को जलाया गया तो वहीं 16 शवों का नदी में बहा दिया गया.

चौसा CO नवलकांत के अनुसार  रात में शव को दाह संस्कार करने में दिक्कत न हो उसके लिए जनरेटर लाइट की व्यवस्था की गई है. गंदगी को साफ करने के लिए दो लोगों को रखा गया है. साथ ही वहां पर दो चौकीदार और एक सलाहकार को नियुक्त किया गया है. वे दाह संस्कार करने वालों की डिटेल भी नोट कर रहे हैं.

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