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उपेंद्र कुशवाहा के एक ट्वीट पर बिहार की सियासत गर्म,जानिये क्या है मामला?

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सिटी पोस्ट लाइव : उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा के एक बयान का हवाला देते हुए ट्वीट कर एक कैलेंडर जारी किया है. उन्होंने लिखा है कि छुट्टी पर आपत्ति करने वाले महानुभावों, आप सभी को पता तो होना चाहिए कि शुक्रवार को सिर्फ उर्दू विद्यालयों में ही अवकाश नहीं होता है, संस्कृत महाविद्यालयों में भी प्रत्येक महीने के प्रतिपदा और अष्टमी को छुट्टी रहती है.दरअसल, इन दिनों कई सरकारी स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को हो रहे अवकाश की वजह से सियासी हलचल और बयानबाजी तेज है. इस बीच JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक ट्वीट कर सियासत और गर्मा दिया है.

उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा के एक बयान का हवाला देते हुए ट्वीट कर एक कैलेंडर जारी किया है, उन्होंने ये बताने की कोशिश की है कि कुछ लोग बेवजह सियासत कर गैरजरूरी विवाद बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने जो ट्वीट किया है वह इस तरह से है.वाकई जरूरी मुद्दा है या अनावश्यक विवाद बनाने की कोशिश…! छुट्टी पर आपत्ति करने वाले महानुभावों, आप सभी को पता तो होना चाहिए कि शुक्रवार को सिर्फ उर्दू विद्यालयों में ही अवकाश नहीं होता है, संस्कृत महाविद्यालयों में भी प्रत्येक महीने के प्रतिपदा और अष्टमी को छुट्टी रहती है. नहीं मालूम है तो संस्कृत विश्वविद्यालय के इस कैलेंडर का अवलोकन कर अपना ज्ञान बढाइए,

उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट के साथ संस्कृत महाविद्यालय का एक कैलेंडर भी जारी किया है, जिसमें इन बातों का उल्लेख किया हुआ है. दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा ने ये ट्वीट भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा के जवाब में किया है.राकेश सिन्हा ने कहा था कि सरकारी छुट्टियां धर्म को देखकर नहीं होती हैं. अगर ऐसा होता है तो यह घोर सांप्रदायिक निर्णय है. इस निर्णय को वापस लेना चाहिए. राकेश सिन्हा ने टर्की का उदाहरण देते हुए कहा था कि मुस्लिम बहुल देश टर्की में जहां 99% मुसलमान हैं, वहां शुक्रवार की छुट्टी बदलकर रविवार कर दी गई. भारत में अगर उल्टी गंगा बहाने की कोशिश होगी तो यह संभव नहीं है. अगर ऐसा होता है तो यह गलत है. सरकार को अविलंब जांच कर जिन लोगों ने निर्णय किया है उस पर कार्रवाई करनी चाहिए.

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