सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) में बड़े बड़े राजनीतिक महारथियों के रिश्तेदार मुंह की खा रहे हैं. पंचायत चुनाव में चुनाव प्रचार से लेकर चुनाव परिणाम तक में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. चुनाव प्रचार में जहां सोशल मीडिया की भूमिका बढ़ी है, वहीं मतदाताओं ने नये चेहरों पर भरोसा जताया है. साथ ही मंत्रियों, विधायकों के नाते रिश्तेदारों को भी चुनाव में हार मिली है. मतदाताओं ने इस बार के चुनाव में नये चेहरों को मौका दिया है. अब तक के चार चरणों के चुनाव परिणाम से जाहिर होता है कि मतदाताओं ने पुराने चेहरों को खारिज कर दिया है और काम नहीं करने वालों को हरा दिया है. मतदाता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने वाले जनप्रतिनिधियों को हार का मुंह देखने को मिला है. लगभग हर जिले में 70 फीसदी से अधिक नये लोग चुनाव जीत कर आये हैं.
पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में मंत्री-विधायक के परिजनों ने भी भाग्य आजमाया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. मतदाताओं ने बिना किसी के प्रभाव में आए हुए वोट किया और माननीय के रिश्तेदारों को भी हार का सामना करना पड़ा. डिप्टी सीएम रेणु देवी के भाई बेतिया में जिला परिषद सदस्य पद का चुनाव हार गए तो पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी की भाभी भी हार गयीं. राजस्व मंत्री रामसूरत राय के बड़े भाई भरत राय भी मुजफ्फरपुर जिला में बोचहां प्रखंड की गरहां पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गए. बोचहां विधायक मुसाफिर पासवान की बहू जिला परिषद सदस्य पद का चुनाव हार गईं. वैशाली जिला में पातेपुर से विधायक लखीन्द्र पासवान की पत्नी को भी जनता ने नकार दिया. झारखंड के कद्दावर नेता और विधायक सरयू राय की बहू भी चुनाव हर गई हैं. वह बक्सर के इटाढ़ी प्रखंड की हरपुर जलवांसी पंचायत से मुखिया थीं.
युवाओं और महिलाओं ने चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है.. मतदान के दौरान महिलाओं ने अपने दैनिक कामकाज की तुलना में वोट को ज्यादा महत्व दिया है.त्योहारों के दौरान भी ग्रामीण महिलाओं ने मतदान करने में कोई कोर कसार नहीं छोड़ा है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा है.चौथे चरण के मतदान में कुल 58.65 प्रतिशत मतदान हुआ. इसमें 63.05 प्रतिशत महिलाओं ने जबकि 54.26 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया. चुनाव परिणाम से पता चलता है कि युवाओं को जनता ने मौका दिया है. भोजपुर की सेदहां पंचायत के 19 साल के अक्षय कुमार को चुनाव में जीत मिली है. पढ़े लिखे युवाओं ने चुनाव में बड़ी संख्या में अपनी भागीदारी निभायी है. लाखों की नौकरी छोड़ कर युवाओं ने चुनाव लड़ा और सफलता भी पायी.
चुनाव प्रचार के परंपरागत तरीके के साथ साथ सोशल मीडिया का भी उपयोग बढ़ा है. सूदरवर्ती गांवों में भी उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया के सहारे मतदाताओं खास कर युवाओं में अपनी पैठ जमाने का प्रयास किया है. व्हाट्सएप, फेसबुक के द्वारा प्रत्याशी अपनी बात मतदाताओं को तक पहुंचा रहे हैं. कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो चुनाव के महीनों पहले फेसबुक पर अपना पेज बना कर प्रचार कर रहे हैं. फेसबुक से लाइव कर के जनता तक अपनी बात पहुंचा रहे है. समर्थक रैली, मीटिंग और डोर-टु-डोर के प्रचार को फेसबुक पर लाइव चला देते हैं. व्हाट्सएप के अलग-अलग ग्रुप्स में पोस्टर और वीडियो को डालकर प्रचार कर रहे हैं.
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