“विशेष” : कोसी इलाके के सहरसा में एम्स निर्माण का मुद्दा नेताओं के लिए बना गरम मसाला
हरतरफ श्रेय लेने की बह रही है हवा
“विशेष” : कोसी इलाके के सहरसा में एम्स निर्माण का मुद्दा नेताओं के लिए बना गरम मशाला
सिटी पोस्ट लाइव : कोसी के सहरसा में एम्स निर्माण के लिए विगत तीन वर्षों से विभिन्य धराओं के एनजीओ, ट्रस्ट और सामाजिक संगठनों के द्वारा अनवरत आंदोलन होते रहे हैं। सहरसा में बिहार का दूसरा एम्स सहरसा में हो, इसके लिए हस्ताक्षर अभियान, धरना, प्रदर्शन, बाजार बन्द से लेकर भूख हड़ताल तक हुए हैं। एम्स निर्माण सहरसा में हो इसके लिए युवाओं ने नीतीश कुमार को अति पिछड़ा कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान काले झंडे भी दिखाए थे। लेकिन नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को सिर्फ एक जगह दरभंगा के डीएमसीएच को चिन्हित कर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। बिहार सरकार के द्वारा केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव को कोसी वासियों ने समझा कि अब एम्स का निर्माण सहरसा की जगह दरभंगा में होगा। इस अफवाह से आहत विभिन्य संगठन के लोगों ने चरणबद्ध भूख हड़ताल की शुरुआत कर दी।
इस भूख हड़ताल में एक संगठन को सात दिनों तक भूख हड़ताल पर बैठना था। यानि क्षेत्र के विभिन्य संगठन इस भूख हड़ताल में शामिल होते और यह सिलसिला महीनों चलता। लेकिन दूसरे फेज में बैठे अनशनकारियों और एक डॉक्टर की नोंकझोंक की वजह से इस भूख हड़ताल को तत्काल स्थगित करना पड़ा। इस मामले में पीपुल्स पॉवर के फाउंडर पूर्व बीडीओ सह समाजसेवी डॉक्टर गौतम कृष्ण को जेल जाना पड़ा। सहरसा कोसी प्रमंडल का मुख्यालय भी है और 2017 में ही 217 एकड़ जमीन उपलब्धता की चिट्ठी तत्कालीन जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल द्वारा मुख्यमंत्री को प्रेषित किया जा चुका था। लेकिन बिहार सरकार दरभंगा में एम्स निर्माण के पक्ष में थी। इसी बीच राज्य सरकार के दरभंगा में एम्स निर्माण के प्रस्ताव को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा ने अस्वीकार कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र संप्रेषित कर दिया।
केंद्र ने दरभंगा में जांच के लिए टेक्निकल टीम भेजी थी। टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में दरभंगा में एम्स निर्माण नहीं होने के सारे वास्तविक कारणों का जिक्र करते हुए अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर जे.पी.नड्डा ने बिहार सरकार को पत्र लिखकर यह बता दिया है कि दरभंगा में एम्स का निर्माण नहीं हो सकता है। सच में,दरभंगा वासियों का सपना एक झटके में चकनाचूर हो गया है। जाहिर तौर पर बिहार सरकार दरभंगा में एम्स निर्माण के पक्ष में थी लेकिन केंद्र के इस फैसले से बिहार सरकार के प्रयास को तगड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार की ओर से डीएमसीएच परिसर में एम्स बनाने की सिफारिश को केन्द्र सरकार ने नामंजूर कर दिया है। केन्द्र ने स्पष्ट कहा है कि डीएमसीएच परिसर को एम्स के तौर पर विकसित करना मुश्किल है।
केंद्र ने बिहार सरकार से अल्प अवधि के दौरान एम्स निर्माण के लिए कोई अन्य जगह का प्रस्ताव फिर से मांगा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी जानकारी लिखित तौर पर दी है।राज्य सरकार के आग्रह पर डीएमसीएच में केन्द्र से एक टेक्निकल टीम भेजी गई थी। टेक्निकल टीम की रिपोर्ट के अनुसार डीएमसीएच में एम्स का निर्माण शुरू नहीं हो सकता है। टेक्निकल टीम के रिपोर्ट के मुताबिक डीएमसीएच परिसर में AIIMS बनाना इसलिए संभव नहीं है कि डीएमसीएच निचले इलाके में स्थित है, जिससे बाढ़ और बरसात के दिनों में दिक्कत होगी। डीएमसीएच चार ब्लॉक में बंटा है और कैंपस के बीच से ही पब्लिक रोड गुजर रही है।
कॉलेज का एक हिस्सा रेलवे लाईन की दूसरी ओर है। ऐसे में पब्लिक रोड को डायवर्ट करना और रेलवे लाईन की दूसरी ओर की भूमि को ओवरब्रिज से जोड़ना होगा ।लेकिन यह पूरा ईलाका हेरिटेज है। लिहाजा, यहां की बिल्डिंग को तोड़ना मुश्किल है। डीएमसीएच कैंपस में अतिक्रमण इतना ज्यादा है कि उसे हटाने में ही बहुत समय लग जाएंगे। यहाँ के करीब-करीब सभी ब्लॉक एम्स के मानक के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में इन्हें तोड़कर नए सिरे से बनाना होगा, जो की कतई आसान नहीं है। हॉस्पिटल, हॉस्टल, बैंक, पोस्ट ऑफिस और पुलिस पोस्ट, सभी को यहाँ से अन्यत्र शिफ्ट करना भी बेहद कठिन है। यहाँ के डाॅक्टर्स और स्टॉफ को भी दूसरी जगह शिफ्ट करना मुश्किल है। इन कमियों को पूरा करने में बहुत वक्त लगेगा। वित्तीय वर्ष- 2015-16 में केन्द्र ने बिहार में एक और एम्स बनाने की घोषणा की थी। हद की इंतहा देखिए कि करीब तीन वर्ष बीतने के बाद बिहार सरकार सिर्फ एक जगह को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजने में समर्थ हो सकी, जिसे केंद्र ने खारिज कर दिया है।
सहरसा के विभिन्य संगठनों को जब यह खबर लगी,तो लोग लामबंद होकर अबीर-गुलाल खेलने लगे और पटाखे चलाने लगे। लोगों को लगा कि जब एम्स दरभंगा में नहीं बनेगा,तो सहरसा का रास्ता अब साफ हो गया। लोग इतने पर ही नहीं माने, लोगों ने सरकार को 217 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जो जानकारी दी गयी थी, वहां जाकर एम्स निर्माण के लिए भूमि पूजन भी कर लिया ।पंडित जी ने विधिवत भूमि पूजन कराया। वाकई यह सारी गतिविधि कमतर मानसिकता को उद्धेलित करने वाला है। सबसे जरूरी यह है कि सरकार एम्स निर्माण सहरसा में हो,इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे। सात जनवरी को खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर और सोलह जनवरी को राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी.नड्डा को सहरसा में एम्स निर्माण हो इसके लिए पत्र लिखे हैं।
आज नीतीश कुमार सहरसा के सिहौल गाँव में पॉवर ग्रिड के शिलान्यास के लिए आये थे। वहां मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव ने सहरसा में एम्स निर्माण हो, इसके लिए एक पत्र सौंपा। यानि अब एम्स निर्माण सहरसा में हो,इसके लिए सामाजिक संगठनों के साथ-साथ नेताओं ने भी अपनी वोट की दुकानदारी शुरू कर दी है। एम्स निर्माण सहरसा में होगा कि नहीं, इसपर मुकम्मिल धूंध बरकरार है लेकिन सभी अभी से ही श्रेय लेने के चक्कर में सारी मर्यादाओं को लांघते दिख रहे हैं। अभी राज्य सरकार सहरसा का प्रस्ताव केंद्र को भेजेगी,फिर केंद्रीय टेक्निकल टीम आकर स्थल जांच करेगी, उसके बाद तय होगा कि सहरसा में एम्स बनेगा या की नहीं? लेकिन यह सच है कि सहरसा में एम्स निर्माण की संभावना जरूर बढ़ी है। इसी संभावना के मद्दे नजर सभी अपने-अपने तरीके से अभी से श्रेय लेने की जमीन तैयार कर रहे हैं।
जबकि अभी वक्त श्रेय लेने की जगह सरकार पर दबाब बनाने का है। सरकार सहरसा के नाम का पहले केंद्र को सिफारिशनामा भेज दे। फिर जल्द से जल्द केंद्रीय टीम स्थल निरीक्षण के लिए आये। सहरसा का बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इस जिले में आम जनता से ज्यादा नेताओं की संख्यां है। किसी संगठन के कार्यकर्ता भी अपने को किसी बड़े नेता से कम नहीं समझते हैं। यही वजह है कि सहरसा की झोली आजतक खाली है। टेक्निकल चीजों को भी, यहाँ के लोग यज्ञ, हवन और तंत्र-मंत्र से हासिल करना चाहते हैं। अभी आमलोगों को समवेत लगातार एम्स के लिए आवाज बुलंद करने के साथ-साथ बड़े जनांदोलन की जरूरत है। आपस में सहरसा की जनता शीतवार में लगी हुई है। लोगों को शब्दों के तीर चलाने की जगह एकजुटता दिखाने की जरूरत है। श्रेय लेने के चक्कर में,ऐसा ना हो कि एम्स किसी और जिले को शौगात में मिल जाये। केंद्र सरकार को अभी दस राज्यों में भी एम्स बनाने हैं।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट
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