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भीषण बाढ़ के बीच नाव पर दूल्हा ले गया अपनी दुल्हनिया को, मुखिया ने लगाया सीओ पर गंभीर आरोप

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सिटी पोस्ट लाइव: पहले हाथी, घोड़ा, पालकी, गाड़ी यहां तक कि हेलीकॉप्टर से दुल्हा संग बराती जाते सुना था. लेकिन, एक शादी ऐसा भी हुआ कि दुल्हे ने अपने दुल्हन को पाने के लिए इस प्रलयकारी बाढ़ में सात समुद्र पार नाव से बरात संग आया और शादी कर के अपने दुल्हनिया को नाव से ही ले गया. खबर मोतिहारी जिले के केसरिया प्रखंड के दियारा क्षेत्र जो बांध के उस पार है. गंडक नदी के किनारे सुन्दरापुर, ढेकहा, मझरिया, कढान, बैरिया आदि गांव बसा है. इस समय बाढ़ का कहर झेल रहा है. नेपाल से पानी छोड़ने के बाद हर तरफ पानी ही पानी है. इस दौरान हर तरफ बाढ़ ने हाहाकार मचा रखा है. लोग अपनी जान बचा कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले जान माल की रक्षा करने में जूटे है.

ढेकहां गांव समेत कई गांवों का अधिकांश हिस्सा बाढ़ से प्रभावित है. उसी बाढ़ से प्रभावित ढ़ेकहां निवासी उज्जैन सहनी के घर में शादी विवाह का माहौल है. उनकी लड़की खुशबू कुमारी की अनोखी शादी का माहौल कायम हुआ. ढेकहां गांव एक तरफ बाढ़ से जलमग्न हो गया है और दूसरी तरफ बाढ़ के पानी के बीचों-बीच स्थित उज्जैन सहनी का घर है. जिसके चारों तरफ पानी ही पानी है. उसमें नाव से बारात उनके दरवाजे पर पहुंच शादी के माहौल में बदल गया. इस भीषण बाढ़ में प्रखंड का एक अनोखा शादी ही कहा जाएगा. जिसमें दूल्हा और बाराती दोनों नाव से पहुंचा और शादी विवाह रस्मो-रिवाज के साथ संपन्न हुआ. बारात मोतिहारी के बगल गांव से आया था.

इस संदर्भ में उज्जैन सहनी ने बताया कि आज मेरी लड़की खुशबू कुमारी की शादी है और जेष्ठ माह में बाढ़ अपना कहर बरपा देगा. यह हमें मालूम नहीं था. इस संदर्भ में अंचल प्रशासन की ओर से कोई सहायता प्रदान नहीं किया गया है. वहीं, उन्होंने बताया कि तीन बड़ा नाव 18 हजारा रुपये में बारातियों के आने के लिए भाड़ा पर लाया गया है. स्थानीय अंचलाधिकारी ने साफ लहजे में उज्जैन सहनी से कहा कि नाव सिर्फ गांवों की रक्षा करने के लिए रखा गया है ना कि बारात लाने के लिये.

इस संदर्भ में स्थानीय मुखिया अजीत कुमार सिंह ने बताया कि अंचल प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावित इलाकों में सिर्फ पॉलिथीन बांट कर कोरम पूरा किया जा रहा हैं. यहां न कम्युनिटी किचन की व्यवस्था है ना लाईटींग की और ना ही एक भी प्राशसन के लोग मौजूद रह रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बांध पर जहरीले किड़े-मकोड़े भी निकलते रहते हैं. जिससे ग्रामीणों में भय है कि यह विनाशकारी बाढ़ से कोई अप्रिय घटना ना घटे.

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