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राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने धरती आबा को दी श्रद्धांजलि

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राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने धरती आबा को दी श्रद्धांजलि

सिटी पोस्ट लाइव,रांची : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गुरुवार को भगवान बिरसा मुण्डा (धरती आबा) की 143वीं जयंती के अवसर पर रांची के कोकर स्थित बिरसा मुण्डा के समाधी स्थल पर अपनी श्रद्धांजलि दी। मौके पर मेयर आशा लकड़ा और डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय सहित अन्य भाजपा के कई नेताओं ने धरती आबा को श्रद्धांजलि अर्पित की। दोनों ने राजधानी के बिरसा चौक स्थित उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया। गौरतलब है कि झारखण्ड की स्थापना भगवान बिरसा मुण्डा के जयंती के अवसर पर वर्ष 2000 में किया गया था। भगवान बिरसा अपनी छोटी सी आयु में ही अपने राष्ट्र के लोगों के लिये अंग्रेजों से लोहा लेने का काम किया था। उनका बलिदान और अद्वितीय शौर्य अविस्मरणीय है। सुगना मुंडा और करमी हातू के पुत्र बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखंड प्रदेश के उलीहातू गांव में हुआ था। एक अक्टूबर 1894 को युवा नेता के रूप में सभी स्थानिय लोगों को एकत्र कर उन्होंने अंग्रेजो से लगान माफी के लिये आन्दोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। 1897 से 1900 के बीच बिरसा का अंग्रेज सिपाहियों के साथ युद्ध होते रहे और बिरसा ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। 1898 में तांगा नदी के किनारे बिरसा मुंडा की भिड़ंत अंग्रेज सेना से हुई। जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियां हुईं। बिरसा ने अपनी अन्तिम सांसें 09 जून 1900 को रांची कारागार में लीं। बिरसा ने न केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आंदोलन किया बल्कि लोगों की जीवन शैली में भी बदलाव लाने का प्रयास किया। वे कालान्तर में भगवान बिरसा और धरती आबा के रूप में पूजनीय हुए। यह आंदोलन बिरसा उलगुलान के रूप में विख्यात हुआ।

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