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साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगेगा, जानिए क्या है खास

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सिटी पोस्ट लाइव : साल 2020 का भारत में दिखाई देने वाला पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने वाला है. इस पूर्ण सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना का नजारा भारत समेत यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व अमेरिका में भी नजर आएगा. 21 जून को सूर्य चांद के पीछे छिप जाएगा और सिर्फ इसकी बाहरी परत नजर आएगी. यह ग्रहण उत्तर भारत में नजर आएगा और पूर्वोत्तर में अधिकतम 38 सेकंड के लिए पूरा सूर्य, चांद के नीचे चला जाएगा. भारत में यह ग्रहण सुबह 10 बजे से 2.30 बजे तक यानि साढ़े चार घंटे रहेगा.

इस ग्रहण के दौरान सूर्य 94 फीसदी ग्रसित हो जाएगा। दिन में अन्धेरा जा जाएगा। कुछ जगह तारे भी दिखाई दे सकते हैं. सूर्यग्रहण क्या है? सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है। चांद के धरती और सूर्य के बीच आने के कारण सूर्यग्रहण होता है। इस दौरान चांद की छाया धरती पर पड़ती है और जिस जगह पर यह छाया पड़ती है. वहां आंशिक रूप से अंधेरा हो जाता है। ऐसे में सूर्य को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।

सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं

पूर्ण,

आंशिक, और

वलयाकार सूर्य ग्रहण

पूर्ण सूर्य ग्रहण

पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है, जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपनी छाया क्षेत्र में ले लेता है। इसके फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंच नहीं पाता है और पृथ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है, तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।

आंशिक सूर्य ग्रहण

आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है, अर्थात चन्द्रमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण

वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चांद सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता, बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

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