सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में NDA में टूट के बाद पहलीबार दो विधान सभा सीटों के लिए उप-चुनाव होने जा रहा है.चुनाव तो केवल दो सीटों के लिए हो रहा है लेकिन लेकिन इसे महागठबंधन और NDA के बीच शक्ति-परिक्षण माना जा रहा है. दोनों सीटों का चुनाव BJP और महागठबंधन दोनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है.गौरतलब है कि गोपालगंज और मोकामा विधान सभा सीट के लिए उप चुनाव हो रहा है.इस चुनाव में BJP अकेली है तो दूसरी तरफ 7 दलों का महागठबंधन है.
2020 के चुनाव में गोपालगंज से एनडीए उम्मीदवार सुबाष सिंह ने जीत दर्ज कराई थी तो मोकामा सीट राजद उम्मीदवार अनंत जीत ने जीती थी. प्रदेश में एनडीए में टूट और महागठबंधन की सरकार बनने के बाद यह पहला उपचुनाव हो रहा है. जाहिर है, दोनों सीटों पर कड़ा मुकाबला होगा. भाजपा जहां गोपालगंज के साथ ही मोकामा में भी अपना पूरा जोर लगाएगी, वहीं महागबंधन के लिए भी दोनों सीटें प्रतिष्ठा का विषय हैं. उपचुनाव सही मायने में महागठबंधन सरकार की परीक्षा भी है. भाजपा और महागठबंधन की टक्कर के बीच विकासशील इंसान पार्टी ने भी एलान किया है कि दोनों सीटों पर वह प्रत्याशी उतारेगी.
यह दूसरा मौका होगा जब दो सीटों पर भाजपा अकेले चुनाव मैदान में होगी. दूसरी ओर राजद, कांग्रेस, वाम दल और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा मिलकर इन सीटों पर अधिकार जमाने की लड़ाई लड़ेंगे. मोकामा सीट राजद का गढ़ मानी जाती है. 2020 के चुनाव में इस सीट से राजद उम्मीदवार अनंत सिंह ने जीत दर्ज की थी. लेकिन, वे अपने पद पर लंबे समय तक रह नहीं सके. एके-47 रखने के आरोप में जहां कोर्ट ने उन्हें 20 वर्ष की जेल की सजा सुनाई. उनकी विधायकी भी चली गई. राजद अपनी पुरानी सीट पर जीत दर्ज कराने की हर संभव कोशिश करेगा.
मोकामा राजद का गढ़ माना जाता है उसी तरह गोपालगंज में भाजपा लगातार जीत दर्ज कराती रही है. 2020 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर यहां से सुबाष सिंह ने जीत दर्ज की थी. लेकिन, बीमारी की वजह से उनका निधन हो गया। भाजपा इस सीट पर सहानुभूति लहर का फायदा उठाएगी. ऐसे में महागठबंधन के लिए यह चुनौती कम नहीं होगी. भाजपा और महागठबंधन के संघर्ष के बीच विकासशील इंसान पार्टी ने भी एलान कर दिया है कि उसके प्रत्याशी गोपालगंज और मोकामा में अपनी ताकत दिखाएंगे. वीआइपी प्रमुख व पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कहा, दोनों सीटों पर उनकी पूरी तैयारी है। जल्द ही पार्टी अपने प्रत्याशियों का एलान भी करेगी.सच कहिये तो अलग थलग पड़े मुकेश सहनी के लिए ये चुनाव फिर से अपनी ताकत दिखाने का एक और मौका देगा.
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