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घटक दल के नेताओं को भाव नहीं दे रहे तेजस्वी, कहा-उनसे जगदानंद सिंह करेंगे बातचीत

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Legislative Assembly Election) की तैयारी में बीजेपी जुट गई है. लेकिन तेजस्वी यादव अभीतक चुनाव कराये जाने के पक्ष में ही नहीं दिखते हैं. उनका कहना है कि अभी कोरोना के संकट में फंसे लोगों की मदद करना उनकी प्राथमिकता है, चुनाव की चिंता बाद में करेगें. दरअसल, महागठबंधन का स्वरूप ही अभीतक तय नहीं हो पाया.महागठबंधन के तीन महत्वपूर्ण घटक दल हैं- वीआइपी पार्टी, हम पार्टी और रालोसपा. तीनों दल के नेता तेजस्वी यादव से इस बात को लेकर नाराज हैं कि तेजस्वी यादव उनको भाव नहीं दे रहे हैं. लेकिन आज तेजस्वी यादव ने साफ़ कर दिया कि ईन नेताओं की नाराजगी से अभी भी वो बेपरवाह हैं. आज उनसे जब सिटी पोस्ट लाइव ने पूछा-क्या सहयोगी दलों के नेताओं से बातचीत करेगें, तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ये सब काम देखेगें. मतलब साफ़ है तेजस्वी यादव खुद घटक दलों के नेताओं से बातचीत करने को तैयार नहीं हैं.

गौरतलब है कि  महागठबंधन (Grand Alliance) के घटक दल अपने अपने रास्ते पर निकल पड़े हैं. न पार्टियों की बैठक हो रही है और ना ही उनके बीच कोई संवाद कायम हो रहा है. गठबंधन कहने भर के लिए है. पिछले कुछ महीनों की गतिविधियों पर नजर डालेंगे तो साफ हो जाएगा कि बिहार में महागठबंधन के बीच अब कोई बंधन नहीं बचा है. सब अपने-अपने रास्ते पर निकल पड़े हैं. अपनी उपेक्षा से नाराज महागठबंधन के घटक दल के नेता सीधे तेजस्वी यादव पर निशाना साधने लगे हैं.जीतन राम मांझी ने तो उनके ऊपर जाति की राजनीति करने का आरोप तक लगा दिया. पिछले कई महीनों से महागठबंधन के नेता एकसाथ नहीं दिखे हैं.तेजस्वी यादव के खिलाफ बाकी घटक दलों के नेताओं की गोलबंदी तेज होती दिख रही है.

प्रवासी मजदूरों को लेकर उपेन्द्र कुशवाहा ने आरजेडी कार्यालय से महज 50 फीट की दूरी पर दिनभर धरना दिया लेकिन  आरजेडी का कोई नेता वहां नजर नहीं आया. कांग्रेस ने भी अकेले सदाकत आश्रम में धरना प्रदर्शन किया. अब जीतन राम मांझी तीन जून को प्रवासी मजदूरो की समस्या को लेकर धरना देने जा रहे हैं पर किसी को कोई निमंत्रण तक नहीं दिया है.गोपालगंज हत्याकांड पर भी किसी भी सहयोगी दल ने तेजस्वी यादव का साथ नहीं दिया. दरअसल,सभी दलों की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर फिर सभी दल आमने-सामने होंगे. बिहार में विपक्ष लगातार कमजोर होता जा रहा है वहीं एनडीए मजबूती के साथ एकजुटता दिखा रहा है.

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