बिहार बंद के जरिये तेजस्वी ने अपने सहयोगी दलों को भी दे दिया है बड़ा संदेश.
सिटी पोस्ट लाइव : आज बिहार बंद से तेजस्वी यादव की ताकत का अंदाजा भी लग गया और उनकी राजनीति का अनुमान भी.दरअसल, महागठबंधन के घटक दलों को वगैर भरोसे में लिए अपने बलबूते पर बिहार बंद का आयोजन कर तेजस्वी यादव ने अपनी शक्ति परिक्षण किया है साथ ही महागठबंधन के तमाम घटक दलों को ये संदेश देने की कोशिश की है कि वो केवल RJD के नेता नहीं हैं बल्कि महागठबंधन के स्वयंभू नेता हैं.उनसे ऊपर कोई नहीं है.सभी सहयोगी दल उनके जनाधार का फायदा तो ले सकते हैं लेकिन उनके ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं बना सकते.
बिहार बंद को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने स्पष्ट तौर पर ये संदेश देने की कोशिश की है कि लड़ाई तो केंद्र सरकार के CAA और NRC के मुद्दे पर लड़ रहे हैं, लेकिन उनके निशाने पर सबसे ज्यादा सीएम नीतीश कुमार हैं. दूसरा ये कि महागठबंधन के घटक दलों को वो ज्यादा अहमियत नहीं दे रहे हैं. लोक सभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद तेजस्वी यादव सहयोगी दलों के बीच विधान सभा की सीट रेवड़ी की तरह बांटने के मूड में नहीं हैं.आज बिहार बंद के दौरान रालोसपा के नेता उपेन्द्र कुशवाहा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा 12 बजे से तेजस्वी यादव के आने और उनके साथ एकता वाली तस्वीर खिंचवाने का इंतज़ार करते रहे लेकिन तेजस्वी यादव तभी आये जब वो प्रतीक्षा कर लौट गए.
उपेन्द्र कुशवाहा जरुर आखिरी समय तक डाकबंगला चौराहे पर इंतज़ार करते रहे लेकिन तेजस्वी यादव ने तनिक भी उनकी परवाह नहीं की. जीतन राम मांझी पहले से ही तेजस्वी के ईशारे को समझ गए थे इसलिए खुद आन्दोलन में शामिल होने की बजाय अपने कार्यकर्ताओं को भेंज कर सहयोगी दल का धर्म निभा लिया.लेकिन मांझी तेजस्वी पर हमला करने से भी नहीं चुके.मांझी ने तेजस्वी पर अपने सहयोगी दलों की उपेक्षा कर बीजेपी को मजबूत करने का गंभीर आरोप भी लगा दिया.
सूत्रों के अनुसार महागठबंधन के तमाम घटक दलों, उपेन्द्र कुशवाहा को छोड़कर, इस बात का इंतज़ार है कि कब बीजेपी से न्यौता आएगा या फिर नीतीश कुमार बीजेपी को छोड़कर उनका नेत्रित्व करेगें.हम पार्टी के एक बड़े नेता ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि अगर तेजस्वी यादव ज्यादा मनमानी करेगें तो कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियाँ नीतीश कुमार के नेत्रित्व में तीसरा मोर्चा बना सकती हैं.
Comments are closed.