तबलीगी जमात पर आतंकी कनेक्शन के भी आरोप, पुलिस की भूमिका पर सवाल.
सिटी पोस्ट लाइव :दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में भाग लेने आये तब्लीगी जमात के लोग देश भर के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं. देश में कोरोना वायरस का सबसे बड़ा कैरियर वो बन गए हैं.पिछले 24 घंटे में देश में जो 386 नए केस आए, उनमें से 164 तो सिर्फ तबलीगी जमात से जुड़े लोगों के हैं.तबलीगी जमात के अमीर मौलाना मुहम्मद साद कंधलावी और 7 अन्य लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने केस भी दर्ज कर लिया है. उसके बाद से ही मौलाना फरार हैं. सवाल लाजिमी है कि पब्लिक सेफ्टी और हेल्थ को जोखिम में डालने वाले गैरजिम्मेदार मौलाना को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
निजामुद्दीन में हुए जलसे में शिरकत करने वाले 6 लोगों की तेलंगाना और 1 शख्स की जम्मू-कश्मीर में मौत हो गई और कई अन्य इस घातक वायरस के चपेट में आ गए. भारत से पहले पाकिस्तान में तबलीगी जमात कोरोना वायरस संक्रमण के एक बड़े कैरियर के तौर पर उभरा था. इसके बाद भी यहां सख्ती नहीं की गई.दिल्ली पुलिस बार-बार मरकज से भीड़ हटाने को कहती रही लेकिन जमात के अमीर मौलाना मुहम्मद साद कंधलावी ने अपनी जिद से हजारों लोगों की जान जोखिम में डाल दी. मरकज से लोगों को हटाने के बजाय मौलाना लोगों से यह अपील करते रहे कि अगर मस्जिद आने से मौत होती है तो इसके लिए मस्जिद से अच्छी कौन सी जगह होगी. मौलाना का यह कथित ऑडियो अब तेजी से वायरल हो रहा है.
दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात की मरकज का एक विडियो सामने आया है. यह विडियो 26 मार्च की शाम का बताया जा रहा है और इसे मरकज की बिल्डिंग के अंदर बनाया गया है. इस विडियो में बड़ी संख्या में भीतर जमा लोग देखे जा सकते हैं. कोरोना वायरस संकट के चलते सरकार द्वारा घोषित किए गये लॉकडाउन और सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए लोग यहां ग्रुप्स में बैठे दिखाई दिए और इन सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को भी ताक पर रख दिया.
निजामुद्दीन एपिसोड ने तबलीगी जमात और मौलाना मुहम्मद साद कंधलावी को पूरे देश में चर्चा में ला दिया है. तबलीगी जमात की स्थापना मौलाना मुहम्मद इलियास कंधलावी ने 1926 में की थी. इसका उद्देश्य सुन्नी मुस्लिमों को इस्लाम की शिक्षाओं के प्रति प्रतिबद्ध बनाना था. जमात का दावा है कि वह पूरी तरह अराजनीतिक संगठन है.स्थापना के कुछ ही वर्षों में तबलीगी मूवमेंट का प्रसार दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के तमाम देशों में हो गया. आज अमेरिका, यूरोपीय देश समेत करीब 200 देशों में जमात सक्रिय है. इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित बंगलेवाली मस्जिद है.
दुनियाभर से तबलीगी गतिविधियों के लिए भारत आने वाले लोग सबसे पहले इसी मस्जिद में रिपोर्ट करते हैं.इसके बाद ही वे भारत के अन्य मरकजों में जाते हैं.एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक तबलीगी जमात के कई सदस्य आतंकवादी गतिविधियों में भी लिप्त पाए गए हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश में तबलीगी जमात की शाखाएं भारत के खिलाफ जिहाद और आतंकवाद फैलाने में शामिल रही हैं. अमेरिका पर हुए 9/11 आतंकी हमले में शामिल अल कायदा के कुछ आतंकियों के भी तबलीगी जमात से लिंक मिले हैं.रिपोर्ट में भारतीय जांचकर्ताओं और पाकिस्तानी सुरक्षा विश्लेषकों के हवाले से बताया गया है कि हरकत-उल-मुजाहिदीन का असली संस्थापक भी तबलीगी जमात का सदस्य था. इसी आतंकी संगठन ने 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण किया था. 80-90 के दशक में जमात से जुड़े 6,000 से ज्यादा सदस्यों ने पाकिस्तान में हरकत-उल-मुजाहिदीन के कैंपों में आतंकी ट्रेनिंग ली थी जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान से सोवियत फोर्सेज को भगाना था.
केस दर्ज होने के बाद से ही फरार चल रहे मौलाना मुहम्मद साद का विवादों से पुराना नाता है. मौलाना ने जिस तरह खुद को तबलीगी जमात का एकछत्र अमीर (संगठन का सर्वोच्च नेता) घोषित कर दिया, उससे जमात में ही फूट पड़ गई. दरअसल 1926 में मौलाना मुहम्मद इलियास द्वारा तबलीगी जमात की स्थापना के बाद से 1995 तक नेतृत्व के खिलाफ असंतोष के बिना यह मूवमेंट चलता रहा.
1992 में जमात के तत्कालीन अमीर मौलाना इनामुल हसन ने जमात की गतिविधियों को चलाने के लिए लिए 10 सदस्यीय एक शूरा का गठन किया. 1995 में मौलाना की मौत के बाद उनके बेटे मौलाना जुबैरुल हसन और एक अन्य सीनियर तबलीगी मेंबर मौलाना साद ने एक साथ शूरा का नेतृत्व किया. मार्च 2014 में जब मौलाना जुबैरुल हसन की मौत हो गई तो मौलाना साद ने खुद को जमात का एकछत्र नेता यानी अमीर घोषित कर दिया.मौलाना साद की कार्यशैली से आखिरकार 2 साल पहले तबलीगी जमात दो फाड़ हो गया. 2 साल पहले मौलाना अहमद लाड और इब्राहिम देवली के नेतृत्व में जमात का एक दूसरा गुट वजूद में आया, जिसका मुख्यालय मुंबई के नजदीक नेरूल की एक मस्जिद है.