मॉरीशस में हैं सुशील मोदी -‘ बिहारियों से किया है अपनी जड़ों से जुड़ने का आह्वान
सिटी पोस्ट लाइव : ‘ इंडिया अब्रॉड ‘, जी हाँ हम बात कर रहे हैं उसी मारिसश की जो मिनी भारत है. जहाँ की आधी से ज्यादा आबादी बिहारी है. बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशिल कुमार मोदी भोजपुरी भाषी संघ की ओर से आयोजित भोजपुरी भाषियों के सम्मेंलन में हिस्सा लेने यहाँ पहुचे हैं. यहां सुशील मोदी ने एक सम्मेलन में संबोधित करते हुए प्रवासी बिहारियों से अपनी जड़ों को पहचानने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों को अपने रुट को ढूंढ़ना चाहिए.और एक मजबूत रिश्ता फिर से कायम करना चाहिए.
इस सम्मेंलन में बिहार के डीप्टी सीएम ने यहां के भोजपुरी भाषियों से “सर्च योर रुट” प्रोग्राम से जुड़ने और इसके जरिए प्रवासी बिहारियों से उनके परिजनों व पुरखों की पहचान कर अपनी जड़ से जुड़ने को लेकर अह्वाहन किया. उन्होंने कहा कि करीब पौने दो सौ साल पहले 1834 के आस-पास अंग्रेजों ने बिहार के मजदूरों को पानी के जहाज में भर कर यहां लाया. यहां आने वाले लोग गिरमिटिया मजदूर कहलाये.ज्यादातर लोग बिहार के हैं जिन्होंने अपनी मेहनत की बदौलत मरिसश को दुनिया का सबसे सुंदर और समृद्ध देश बनाया.
सुशिल मोदी ने कहा कि मेहनतकश मजदूरों ने ही अपने श्रम से यहां की धरती को हरा-भरा और उपजाऊं बनाया है. उन्होंने कहा कि मॉरीशस के निर्माण और तरक्की में बिहांर से आये मजदूरों का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है.. मोदी ने मॉरीशस के प्रवासी बिहारियों से अगले साल जनवरी में वाराणसी में आयोजित होने वाले “प्रवासी भारतीय दिवस” समारोह में शिरकत करने की भी अपील करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का उद्घाटन मॉरीशस के राष्ट्रपति पी जगन्नाथ करेंगे.
मोदी ने कहा कि प्रवासी बिहारियों के अपने पुरखों से जीवंत संबंध स्थापित करने के लिए बिहार फाउंडेशन का मॉरीशस चैप्टर स्थापित किया जाएगा. संवाद के जरिये प्रवासी बिहारी अपने बिहार में रहने वाले परिजनों से सतत संबंध स्थापित रख सकेंगे. मरिसश पहुंचे सुशिल कुमार मोदी का बिहारियों ने दिल खोलकर स्वागत किया. उन्होंने कहा कि मरिसश में रहते हुए उन्हें पता है कि बिहार में नीतीश कुमार और सुशिल मोदी की जोड़ी ने कैसे परिवर्तन लाया है.
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