सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आधार कार्ड को मिली संवैधानिक मान्यता
सिटी पोस्ट लाइव : सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं परअपना फैसला सुनाते हुए आधार (AADHAAR) को संवैधानिक मान्यता दे दी है. सर्वोच्च अदालत कहना है कि – “आधार से आम नागरिक को पहचान मिली है. इससे गरीबों को उनका हक मिला है. आधार एकदम सुरक्षित है. इसकी डुप्लिकेसी का सवाल नहीं उठता है. आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है.” हालांकि आधार की जानकारी देना निजता का उल्लंघन है या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आना बाकी है.
सुबह करीब 11 बजे जस्टिस एके सीकरी ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर की तरफ से फैसला पढ़ना शुरू किया. जस्टिस सीकरी ने कहा कि – “आधार कार्ड और पहचान के बीच एक मौलिक अंतर है. बायोमैट्रिक जानकारी संग्रहीत होने के बाद यह सिस्टम में बनी हुई है. आधार से गरीबों को ताकत और पहचान मिली है. आधार आम आदमी की पहचान बन चुका है. आधार कार्ड का डुप्लीकेट बनवाने का विकल्प नहीं है . आधार कार्ड बिल्कुल सुरक्षित है.” आधार की संवैधानिक वैधता पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि, “आधार कमजोर वर्ग को ताकत देता है और उन्हें एक पहचान देता है. आधार पहचान से जुड़े बाकी दस्तावेजों से अलग है। इसलिए इसका डुप्लीकेट नहीं बन सकता है.” वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “आधार नामांकन के लिए यूआईडीएआई ने देश की जनता की बायोमेट्रिक और डेमोग्राफी से जुड़ी जानकारी बहुत कम ली है. किसी भी शख्स को दिया गया, आधार नंबर यूनिक है, जो किसी और के पास नहीं जा सकता है.”
बता दें सेवानिवृत्त जज पुत्तासामी और कई अन्य लोगों ने आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी थी. याचिकाओं में विशेष तौर पर आधार के लिए एकत्र किए जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई है. आधार की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट में निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मुद्दा उठा था.
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