आनंद कुमार के सुपर 30 का सुपर छलावा, छात्रों ने लगाए गंभीर आरोप
सिटी पोस्ट लाइव ( अविनाश कुमार सिंह ) : बिहार में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. बिहार के किसान अपने बच्चों डॉक्टर-इंजिनियर और अधिकारी बनाने के सपने साकार करने के लिए अपना घर-बार और जमीन गिरवी रखकर अपने बच्चों को पढने के लिए पटना भेजते हैं .लेकिन ईन बच्चों के सामने बड़ी चुनौती होती है बेहतर कोचिंग के चयन की .कौन बढ़िया कोचिंग है, ये तय करने का एकमात्र जरिया अखबारों में छपने वाले बड़े बड़े विज्ञापन और खबरें होती हैं. ईन प्रायोजित खबरों के चक्कर में ये छात्र पटना आकर फंस जाते हैं. अब प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित नामी-गिरामी कोचिंग संसथान ” सुपर-30 ” पर भी बच्चों को फांसने का मामला सामने आया है. कई छात्रों का आरोप है कि अखबारों में खबरिया चैनलों में इस कोचिंग संस्था के बारे में छपनेवाली खबरों को देखकर वो सुपर 30 में नामांकन लेने पहुंचे थे. आये थे सुपर 30 में नामांकन के लिए लेकिन टेस्ट के बाद उनका दाखिला ले लिया गया रामानुजम संसथान में.छात्रों का आरोप है कि यहाँ आनंद समय नहीं देते और बाकी शिक्षक योग्य हैं.
गौरतलब है कि कप बी इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले हर स्टूडेंट्स का सुपर 30 में एडमिशन लेने का सपना होता है. यह सपना 30 में 30 स्टूडेंट की आईआईटी में सीट पक्की होने के दावे से जुड़ा है. 30 में 30 स्टूडेंट की आईआईटी में सीट पक्की होने का दावा कर देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस संसथान में एडमिशन लेनेवाले छात्रों का आरोप है कि सुपर 30 तो एक छलावा है. यह रामानुजम कोचिंग संसथान की जाल में बच्चों को फांसने का एक बहुत बड़ा जरिया बन चूका है .ऐसे छात्रों के नामों की फेहरिश्त बहुत लम्बी है जिन्होंने रामानुजम में पढ़ने के वावजूद आईआईटी में असफल रहे और जिन्होंने एक साल के बाद इस संस्थान से अपना पीछा छुडवा लिया . छात्रों का आरोप है कि क्लास में आनंद सर से सवाल नहीं पूछ पाते थे. बस उनका रटा रटाया टॉपिक रहता था उसी पर चर्चा होती थी. आनंद सर के पास यह सोचकर आए थे कि उनसे डिस्कस करने को मिलेगा लेकिन जब वे टाइम नहीं देते तो हमने रामानुजम छोड़ दिया.एक छात्र लिखता है कि वह यह सोचकर आया था कि सुपर 30 में एडमिशन होगा लेकिन टेस्ट के बाद पता चला कि रामानुजम में दाखिला हुआ. अब दूसरे कोचिंग में पढ़ रहा हूं क्योंकि वहां आनंद सर के पास टाइम ही नहीं होता है.
आंनद कुमार का दावा है कि 2018 के जेईई रिजल्ट में सुपर 30 के 26 स्टूडेंट्स ने आईआईटी में अपनी जगह बनाई. लेकिन सुपर 30 के ही एक स्टूडेंट अपना एक वीडियो जारी किया है जिसमें उसने दावा किया है कि इस साल सुपर 30 में सिर्फ 22 स्टूडेंट्स को ही आनंद कुमार ने पढ़ाया था जिसमें से सिर्फ 3 रेगुलर स्टूडेंट्स ही आईआईटी क्वालीफाई कर पाए हैं. इन तीनों में गगन, गौरतलब है कि पहले ही इस बात का खुलासा हो चूका है कि 2018 में दो स्टूडेंट ऐसे थे जो कोटा में रहकर पढ़े और उन्हें आनंद कुमार ने अपना स्टूडेंट बताकर न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया था. इन सफल तीन स्टूडेंट्स में गगन और अनुपम को आंनद कुमार ने सुपर 26 में शामिल ही नहीं किया. जेईई मेंस का रिजल्ट आने के बाद सूर्यकांत, सूरज कुमार और यश कुमार आनंद के पास मैथ पढ़ने आए थे. एडवांस का रिजल्ट आने के बाद इन तीनों को सुपर 26 में शामिल कर लिया.वैसे यह एकलौता ऐसा मामला नहीं है.सुपर 30 से पहले जुड़े रहनेवाले बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद भी इसी तरह का आरोप आनंद पर लगा चुके हैं. उनके द्वारा पढाये जानेवाले छात्रों को अपना छात्र बताकर मीडिया में प्रचार प्रसार करने का आरोप उनके ऊपर लगा था .
सुपर 30 के छात्रों का आरोप है कि आनंद कुमार के संसथान में जेईई का रिजल्ट आने के बाद जिन बच्चों के नंबर बहुत अच्छे होते थे उन्हें सुपर 30 में शामिल कर स्कॉलरशिप देने का लालच दिया जाता था. मेंस और एडवांस के बीच के 42 दिनों में स्कॉलरशिप के प्रलोभन का खेल एडवांस के रिजल्ट के दिन तक चलता था. इस तरह 60 दिन में कितने नए स्टूडेंट्सआते और जाते इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. बाद में इन स्टूडेंट्स को स्कालरशिप भी नहीं दी जाती थी.हजारों छात्रों के भविष्य के साथ किया जानेवाला यह खिलवाड़ माफ़ी के काबिल नहीं है.अगर आनद सुपर 30 के नाम पर छात्रों को छल रहे हैं तो उनके खिलाफ कारवाई होनी चाहिए. जितना उन्हें सम्मान बी बच्चों को डॉक्टर इंजिनियर बनाने के लिए मिला है उतना ही अपमान अब उनका गरीब छात्रों के साथ छलावा किये जाने के लिए मिलना चाहिए .
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