यौन शोषण की शिकार कुछ लड़कियों ने की आत्महत्या की कोशिश, कई सदमें में
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुजफ्फरपुर के सरकारी महिला अल्पावास में 41 लड़कियों के साथ हुए दुष्कर्म की वारदात ने उन सभी लड़कियों को सदमें में डाल रखा है. जानकारी के अनुसार कुछ लड़कियों ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की है. पटना के दो प्रमुख अस्पतालों में इन लड़कियों का इलाज चल रहा था. नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल और कोईलवर स्थित मानसिक अस्पताल के डॉक्टर बलात्कार और शारीरिक यातना की शिकार हुई बच्चियों का इलाज कर रही थी, लेकिन ये बच्चियां इस खौफनाक मंजर को अपने जहन से निकालने में असफल रही. जिसके बाद रविवार को 30 लड़कियों को मोकामा के नाजरथ अस्पताल और आश्रय़ स्थल में शिफ्ट किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार कुछ लड़कियों ने आत्महत्या और खुद के शारीरिक को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है.
बता दें शारीरिक यातना से गुजरे इन बच्चियों के मन से और उनका शारीरिक इलाज करने के लिए, अब यूनिसेफ की मदद से हैदराबाद स्थित एनफोल्ड इंडिया और एम्स के डॉक्टरों की एक टीम सोमवार को ही पटना पहुंची है जो पीड़ित लड़कियों का इलाज करेगी. गौरतलब है कि पिछले दिनों टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की कोशिश टीम ने ‘समाज कल्याण विभाग’ द्वारा संचालित संस्थाओं की सोशल ऑडिट रिपोर्ट ‘समाज कल्याण विभाग’ पटना के निदेशक को सौंपी. इस रिपोर्ट के पेज नंबर 52 पर मुजफ्फरपुर में चल रहे बालिक गृह के कार्यकलाप पर गंभीर सवाल उठाए. रिपोर्ट में ऑडिट टीम ने दावा किया कि बालिक गृह में रहने वाली कई बालिकाओं ने यौन उत्पीड़न का खुलासा किया है. यौन उत्पीड़न का सनसनीखेज खुलासा होने के बाद 31 मई को ही मुजफ्फरपुर बालिका गृह की 42 बच्चियों को पटना और मधुबनी भेज दिया गया था.
वहीँ मुजफ्फरपुर बालिका गृह में एक लड़की की हत्या कर उसके शव को वहीं दफनाये जाने के मामले की सच्चाई जानने के लिए बालिका गृह में जेसीवी से खुदाई की गई. हालांकि इस खुदाई में किसी भी बच्ची के शव के अवशेष नहीं मिले हैं. जबकि इस बालिका गृह से 6 लड़कियाँ गायब बताई जा रही हैं .इन लड़कियों का कोई सुराग नहीं है और ना ही इनके गायब होने की कोई रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज है. अगर लड़कियाँ भागी होतीं तो रिपोर्ट पुलिस में दर्ज होनी चाहिए थी. पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराये जाने का मतलब कि उनके साथ भी अनहोनी हो सकती है.
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