सावित्रीबाई फुले की जयंती आज, तेजस्वी यादव और उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट के जरिये किया याद
सिटी पोस्ट लाईव – भारत में महिलाओं के लिए शिक्षा के क्षेत्र में उत्प्रेरक कार्य करनेवाली एवं दलितों के लिए पहला विधालय खोलनेवाली सावित्रीबाई फुले की जयन्ती आज पूरा देश हर्षोल्लास के साथ मना रहा है. उन्होंने उस समय दलितों एवं महिलाओं के शिक्षा के लिए कार्य किया जब देश में शिक्षा की स्थिती नगण्य के बराबर थी. महिलाओं को आगे बढाने के लिए तमाम-व्यवधानों के बावजूद आवाज को बुलंद किया. यह 150 वर्ष पूर्व की बात है. इस अवसर पर बिहार के नेताओं ने भी उन्हें याद किया है. बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया है..
इन नेताओं ने प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फूले की जयंती पर उन्हें याद करते हुए अपने ट्वीटर अकाउंट पर पोस्ट साझा किया है. तेजस्वी यादव ने ट्वटिर पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि -“भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, महान समाज सुधारिका, विद्रोही कवियत्री,लेखिका, लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल खोलने वाली, स्त्रियों के अधिकारों के लिए सतत संघर्ष करने वाली एवं वंचित वर्गों की शिक्षा और समानता की प्रबल समर्थक माता सावित्रीबाई फुले की जयंती पर शत्-शत् नमन.” आपको बता दें कि भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र स्थित सतारा के गांव नायगांव में हुआ था. सावित्रीबाई फुले भारत की पहली बालिका विधालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं. उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने और उनके अधिकारों की लड़ाई में अहम भूमिरा निभाई थी.
पूर्व केन्द्रीय मंत्री हुए रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी देश की प्रथम शिक्षिका को याद किया है. उपेंन्द्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि -“महिलाओं में शिक्षा की ज्योति जलाने वाली भारत की प्रथम शिक्षिका राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन.” सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के अधिकारों के लिए कई क्षेत्रों में काम किया. उनका सपना था कि -“पुरुषों की तरह महिलाएं भी सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ें. वे महिलाओं को सामान अधिकार दिलाना चाहती थीं.” उन्होंने केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए ही कार्य नहीं किया बल्कि उन्होंने कन्या शिशु ह्त्या को रोकने के लिए भी कार्य किया. उन्होंने इसके लिए अभियान चलाया.नवजात कन्या शिशु के लिए उन्होंने आश्रम तक खोला ताकि कन्याओं की देख-रेख हो सके.
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