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झारखंड चुनाव: रघुवर दास के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है सरयू राय की बग़ावत.

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झारखंड चुनाव: रघुवर दास के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है सरयू राय की बग़ावत.

सिटी पोस्ट लाइव : झारखण्ड बीजेपी के कद्दावर नेता सरयू राय की बगावत को विपक्ष अपना सबसे बड़ा हथियार बनाने में जुटा है. जेएमएम के नेता हेमंत सोरेन ने सरयू राय की बगावत को भर्ष्टाचार बनाम ईमानदारी की लड़ाई का नाम दे दिया है.हेमंत सोरेन ने कहा कि सरयू राय एक ईमानदार नेता हैं और वो भर्ष्टाचार के प्रतिक बन चुके झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जंग का एलान किया है. हेमंत ने कहा कि विपक्ष को सरयू राय की इस लड़ाई में साथ देना चाहिए. जाहिर है विपक्ष सरयू राय का साथ देकर रघुवर दास की हार सुनिश्चित करना चाहता है.

सरयू राय और रघुवर दास की अदावत पुराणी है.सरयू राय सरकार में मंत्री होते हुए भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. 3 फरवरी, साल – 2019. जमशेदपुर में झारखंड के पहले महिला विश्वविद्यालय के शिलान्यास समारोह में ही उन्होंने बगावत के संकेत दे दिए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दिन जम्मू में थे. उन्होंने वहीं से इसका ऑनलाइन शिलान्यास किया.इस मौक़े पर जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज परिसर में सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा थी. मुख्यमंत्री रघुवर दास उस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. वह इलाक़ा जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीट की परिधि में आता है.लिहाजा स्थानीय विधायक और राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री सरयू राय को भी इसका आमंत्रण भेजा गया, लेकिन वे कार्यक्रम में नहीं पहुंचे. उन्होंने इसका बहिष्कार किया, क्योंकि उसके लिए छपे आमंत्रण पत्र पर सिर्फ़ मुख्यमंत्री रघुवर दास का नाम था.

प्रोटोकॉल के मुताबिक़ सरकारी कार्यक्रमों के लिए छपवाए जाने वाले कार्ड पर क्षेत्रीय विधायक का भी नाम छापा जाना चाहिए था.तब नाराज सरयू राय ने मुख्य सचिव और उच्च शिक्षा सचिव को शो-कॉज़ कर कार्ड पर अपना नाम नहीं होने का कारण पूछा. मुख्य सचिव ने उन्हें क्या जवाब दिया, यह बात सार्वजनिक नहीं की गई.उन्हीं दिनों हुई कैबिनेट मीटिंग में सरयू राय ने सरकार के कुछ प्रस्तावों पर आपत्ति जताई. मीटिंग से निकल कर बाहर चले आए. उसके बाद मंत्रिमंडल में रहने के बावजूद वे कैबिनेट की किसी मींटिंग में नहीं गए. नतीजतन, उनके और ऱघुवर दास के रिश्ते और तल्ख़ होते चले गए.

ये तल्खी सोमवार को एक नए मुकाम पर पहुंच गई जब मुख्यमंत्री रघुवर दास के ख़िलाफ़ सरयू राय ने जमशेदपुर पूर्व सीट से नामांकन दाखिल कर दिया. पर्चा उन्होंने सिर्फ़ जमशेदपुर पूर्वी से भरा है.उन्होंने कहा कि उनकी  लड़ाई भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ है. इसमें किसकी जीत या हार होगी, इसकी परवाह करता तो यह क़दम उठा ही नहीं पाता. लिहाज़ा, अब लड़ाई है और भ्रष्टाचार के तमाम मुद्दे मेरे प्रचार का हिस्सा होंगे. ऐसा करने की ताक़त मेरे वोटरों ने ही मुझे दी है.

सरयू राय की बग़ावत से बीजेपी के कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति है.  जमशेदपुर में बीजेपी के कई पदधारकों ने सरयू राय के समर्थन में इस्तीफ़ा दे दिया है.पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन ने सरयू राय के इस क़दम का स्वागत किया है. उन्होंने रांची में कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वे सरयू राय के साथ खड़े हैं.उनके इस बयान के कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस पार्टी ने जमशेदपुर पूर्व सीट से अपने चर्चित प्रवक्ता गौरव वल्लभ को पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा कर दी.कांग्रेस की यह लिस्ट शनिवार की देर रात जारी की गई. झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि उनकी पार्टी वहां मज़बूती से चुनाव लड़ेगी.

राजेश ठाकुर ने कहा कि गौरव वल्लभ ही महागठबंधन के साझा प्रत्याशी हैं. उन्हें जेएमएम का भी समर्थन हासिल है क्योंकि सीटों के बंटवारे में जमशेदपुर पूर्वी सीट हमें मिली है. ऐसे में सरयू राय का समर्थन करना हमारा विषय नहीं है.नामांकन के आख़िरी दिन बीजेपी से मुख्यमंत्री रघुवर दास, कांग्रेस से गौरव वल्लभ, झारखंड विकास मोर्चा से अभय सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार के बतौर सरयू राय ने नामांकन किया.रघुवर दास ने साल 1995 में जमशेदपुर पूर्वी सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था. तब वे पार्टी के ज़िला मंत्री हुआ करते थे. बीजेपी ने तब अपने सिटिंग विधायक दीनानाथ पांडेय का टिकट काटकर उन्हें चुनाव लड़ाया.इससे ख़फ़ा दीनानाथ पांडेय निर्दलीय चुनाव लड़ गए. उन्हें शिवसेना का समर्थन मिला. तब रघुवर दास 2000 से भी कम वोटों के अंतर से चुनाव जीत सके थे.

वह उनकी ज़िंदगी का पहला और सबसे कठिन चुनाव था. उसके बाद से वे लगातार इस सीट से अपना चुनाव जीतते रहे हैं. यहां से जीतते हुए वे साल 2009 में झारखंड के उपमुख्यमंत्री बने और साल 2014 में मुख्यमंत्री.पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने 70,000 से भी अधिक मतों के अंतर से जीता था. तब कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे दूसरे नंबर पर रहे थे.तब यहां बीजेपी को 61.5 फ़ीसदी वोट मिले थे. तब कांग्रेस को 19.8 फ़ीसदी, झारखंड विकास मोर्चा को 12.4 फ़ीसदी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को सिर्फ 2.4 फ़ीसदी वोट हासिल हुए. बीजेपी प्रत्याशी के बतौर रघुवर दास को 1,03,427 वोट मिले थे.इसबार जब सरयू राय उनके खिलाफ ताल ठोक रहे हैं, हेमंत सोरेन उन्हें समर्थन देने की बात कर रहे हैं, रघुवर दास की चुनौती बहुत बढ़ गई है.

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