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रुंगटा ग्रुप: तीन दशक से उलझा है 12.50 एकड़ जमीन का मामला

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रुंगटा ग्रुप: तीन दशक से उलझा है 12.50 एकड़ जमीन का मामला
सिटी पोस्ट लाइव, रामगढ़: रामगढ़ जिले में रुंगटा ग्रुप के हेहल स्थित प्लांट में तीन दशक से 12.50 एकड़ जमीन का मामला उलझा हुआ है। यह मामला कई बार अधिकारियों के बीच पहुंचा। पीड़ित परिवारों ने न्याय की गुहार भी लगाई। प्लांट के परिसर में पंचायत भी लगी लेकिन कभी भी इसका हल नहीं निकल पाया। 31 एकड़ में निर्मित रुंगटा ग्रुप के मां छिन्नमस्तिका स्टील एंड स्पोंज आयरन प्लांट में मल्हार और बिरहोर जाति के दर्जनों परिवार कैदियों की तरह रहने को मजबूर हैं। तीन दशक की लंबी लड़ाई के बाद इन परिवारों को प्लांट परिसर में ही किनारे में कुछ मकान बनाने की इजाजत तो दी गई लेकिन वे अपनी जर्जर झोपड़ियों की मरम्मत भी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि जब तक इनका मामला सुलझ नहीं जाता है फैक्ट्री प्रबंधन ने उनके लिए सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। 31 एकड़ में चारों तरफ से की गई बाउंड्री और बड़े गेट से उन्हें निकलने का आदेश नहीं है। उनके आने-जाने के लिए महज हाधे फीट की जगह दी गई है। इस मसले को हल करने के लिए वर्ष 2009 में फैक्ट्री प्रबंधन ने मल्हार और बिरहोर जाति के लोगों के साथ बैठक की थी। उन्हें पुनर्वासित करने के लिए विस्थापित लोगों की सूची भी तैयार की गई थी। बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 2011 से लेकर 2016 तक कई बैठकें हुईं। लेकिन कोई हल नहीं सामने आया। 2016 में तत्कालीन एसडीओ किरण कुमारी पासी ने इस मुद्दे पर एक अहम बैठक की।
उन्होंने मल्हार और बिरहोर जाति के लोगों को न्याय दिलाने के लिए स्पष्ट आदेश जारी किया। उन्होंने 26 फरवरी 2016 को फैक्ट्री प्रबंधन को कहा कि मल्हार और बिरहोर जाति के लोगों की जमीन प्लांट परिसर में शामिल है। इस वजह से उन लोगों को पुनर्वासित करने की जिम्मेवारी फैक्ट्री प्रबंधन की है। उन्होंने कहा कि सभी परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ पुनर्वासित करें। जहां भी पुनर्वास की व्यवस्था होगी वहां बिजली, पानी, शौचालय, शिक्षा और इलाज की व्यवस्था करनी होगी। उन्होंने तत्कालीन पतरातू बीडीओ को इस बात की जिम्मेवारी सौंपी थी कि वे मल्हार टोला में जाएं और वहां रह रहे परिवारों की सूची बनाएं। लेकिन पतरातू बीडीओ ने पिछले 4 वर्षों में ना तो कोई ऐसी सूची सौंपी और ना ही उन्होंने इस मसले का हल निकालने के लिए दोबारा कोई प्रयास किया। बाद में अधिकारियों के तबादले होते गए और मामला फिर से ठंडे बस्ते में चला गया।
 
हमें 31 एकड़ जमीन का मिला था सेल डीड : दुर्गा पासवान
मां छिन्नमस्तिका स्टील एंड स्पंज आयरन प्लांट के एचआर हेड दुर्गा पासवान ने बताया कि इस प्लांट को प्रदीप बेलथरिया नामक उद्योगपति द्वारा स्थापित किया गया था। जब रुंगटा ग्रुप ने इस प्लांट को उनसे खरीदा था तो उस वक्त पूरे 31 एकड़ जमीन की सेल डीड उन्हें उपलब्ध कराई गई। रुंगटा ग्रुप की ओर से सभी दस्तावेज की जांच की गई थी। यहां तक कि उन सभी दस्तावेजों का म्यूटेशन और रसीद अभी भी प्रबंधन के पास उपलब्ध है। इसके बावजूद यह मसला अभी तक सुलझ नहीं पाया है। कई बार अधिकारियों को यहां बुलाया गया। यहां तक कि कई बार पीड़ित परिवारों को 4 डिसमिल के हिसाब से जमीन देने के लिए प्रबंधन ने तैयारी भी की। लेकिन पीड़ित परिवार खुद ही इसे लेने से इनकार करते चले गए।

 

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