‘रविशंकर’ का हिसाब-किताब लगा देंगे आर.के. सिन्हा के समर्थक, हराने के लिए शुरू किया अभियान
सिटी पोस्ट लाइवः एनडीए ने आज बिहार के 40 में से 39 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है। यानि खगड़िया सीट को छोड़कर बिहार की सभी लोकसभा सीटों के लिए एनडीए के प्रत्याशियों के नाम का एलान हो गया है। इस एलान के मुताबिक केन्द्रीय कानून मंत्री और राज्यसभा सांसद रविशंकर प्रसाद पटना साहिब से चुनाव लड़ेंगे।इससे पहले शत्रुध्न सिन्हा इस सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हुआ करते थे। शत्रु जब बागी हुए तो बीजेपी ने इस बार उनका टिकट काटकर रविशंकर प्रसाद को दे दिया है। शत्रुध्न सिन्हा पटना साहिब से महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे यानि रविशंकर प्रसाद और शत्रुध्न सिन्हा के बीच सीधी टक्कर होनी है। बीजेपी के रविशंकर के लिए राजनीति का गणित इतना आसान नहीं है क्योंकि उनकी लड़ाई अपनों से भी है। बीजेपी के एक दूसरे बड़े नेता और राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा पटना साहिब सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे।
आर.के. सिन्हा के समर्थन में वो तमाम संगठन खड़े थे जो चुनाव जिताने में बीजेपी की मदद करते रहे हैं। पहले तो वही रविशंकर प्रसाद का विरोध कर रहे हैं। दूसरे भाजपा में अटल सेना नाम की एक ईकाई भी है वह भी अब रविशंकर प्रसाद के खिलाफ अभियान चला रही है। चूंकी बीजेपी ने अब रविशंकर प्रसाद का नाम घोषित कर दिया है इसलिए दबाव काम नहीं करेगा ऐसी स्थिति में अटल सेना और आर.के. सिन्हा के समर्थकों ने दूसरा तरीका अपनाया है। वे मैसेज वायरल कर रहे हैं और संदेश के जरिए लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि बीजेपी आलाकमान का फैसला गलत है इसलिए अच्छी पार्टी के बुरे उम्मीदवार को वोट देना भी सही नहीं है।
एक संदेश वायरल हो रहा है जिसमें लिखा है-‘कोई बुरा प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है. दल के हाईकमान ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देते समय पक्षपात किया होगा। अतः ऐसी गलती को सुधारना मतदाता का कर्तव्य है।’ जाहिर है रविशंकर प्रसाद के लिए पटना साहिब की राह आसान नहीं है।
उधर आर.के. सिन्हा दिल्ली रवाना हो चुके हैं ताकि उनपर अपने समर्थकों को काबू करने का दबाव न बने और वे इस विवाद से अनभिज्ञता जाहिर कर सकें। मगर पटना साहिब का गणित फिलहाल यही है रविशंकर प्रसाद के लिए उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले शत्रुध्न सिन्हा से ज्यादा आर.के. सिन्हा और उनके समर्थक ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। वे उनके हिसाब-किताब लगा देने पर अमादा हैं और रविशंकर प्रसाद की हार सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
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