अगर वो कामयाब रहे तो, आरजेडी को मिल सकता है एक दूसरा लालू यादव
तेजप्रताप लालू यादव की तरह फक्कड़, अक्कड़, बेपरवाह और गांव-गंवई के देशी नेता दिखना चाहते हैं
सिटी पोस्ट लाइव विशेष : लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप को लेकर लालू परिवार चिंतित है. सबको पहले लगा बचपना है, बाद में लगा लम्पटई है और अब लग रहा है पागलपन है. लालू परिवार परेशान है, विपक्ष मजा लूट रहा है. उसे लग रहा है, दोनों भाई पॉवर को लेकर आपस में भीड़ गए हैं. पार्टी टूट जायेगी. तेजप्रताप और तेजस्वी के व्यक्तिगत सलाहकार और सचिव भी एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. मीडिया से लेकर राजनीतिक पंडित तक अपने अपने हिसाब से तेजप्रताप यादव के बारे में विचार दे रहे हैं. कोई लिख रहा है तेजप्रताप पार्टी में बड़ी भूमिका की तलाश में हैं. कोई लिख रहा है तेजप्रताप पार्टी में अहमियत चाहते हैं. कोई लिख रहा है कि तेजस्वी के भाव नहीं देने से तेजप्रताप उखड़े हैं. वैसे भी ये सारी बातें सतही तौर पर सही भी लगती हैं.लेकिन सच्चाई क्या है ? दरअसल, तेजस्वी को अपने भाई की इस उटपटांग हरकत से परेशानी हो सकती है. राबडी देबी चिंतित हो सकती हैं, चिंतित हैं भी और बेटे के बहक जाने का अंदेशा उन्हें सता रहा है. लेकिन तेजप्रताप को तेजस्वी से कोई शिकायत नहीं है. यह बात वो कईबार कह चुके हैं. लेकिन किसी को उनकी बात पर इसलिए विश्वास नहीं हो रहा कि क्योंकि इस बीच वो कई उटपटांग हरकतें भी करते रहते हैं. लेकिन सच्चाई भी यहीं है कि तेजप्रताप को तेजस्वी के कद बढ़ने से चिंता नहीं है बल्कि लालू यादव के सक्रीय नहीं होने के कारण पार्टी के कमजोर हो जाने की चिंता सता रही है. उन्हें पता है कि घर परिवार में लालू यादव की कमी की पूरी भारपाई कोई नहीं कर पायेगा. ऐसे में वो खुद लालू यादव बनने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने पार्टी के स्थापना दिवस पर समर्थकों से कहा भी, आपको लालू जी की कमी क्यों खल रही है. मैं हूँ ना ! मैं भी तो लालू यादव जैसा ही हूँ. उनकी तरह ही मेरा बॉडी लैंग्वेज है और उन्ही की तरह मेरा चाल ढाल,बोलचाल ,सबकुछ है ,फिर चिंता किस बात की. उन्हें पता है कि समर्थक अगर उन्हें कमजोर होते देखेगें तो निराश होगें इसलिए ये कहने से भी परहेज नहीं किया कि पार्टी वहीँ संभालेगें.जिन लोगों ने शुरुवात में लालू यादव को देखा होगा, उन्हें जरुर तेजप्रताप में लालू यादव थोडा बहुत नजर आते होंगें. कब क्या करेगें , कब प्यार करेगें और कब दुत्कार देगें ,किसी को पता नहीं. जिस तरह से रामचंद्र पूर्वे सरीखे पार्टी के तमाम बड़े नेता लालू यादव के सामने सहमे नजर आते थे, उसी तरह से तेजप्रताप के सामने जाने से भी घबराते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें तेजप्रताप ने कभी गाली दी है. उन्हें अपमानित किया या किसी के साथ लप्पड़ थप्पड़ किया है. लेकिन फिर भी सबको उनसे लालू की तरह ही डर लगता है. तेजप्रताप लालू यादव की तरह ही अन-प्रेडिकटेबल हैं. कब क्या करेगें, किसी को अंदाजा नहीं. लेकिन वो लालू की तरह ही मीडिया को खूब भाते हैं.लालू की तरह ही विरोधियों को भी गुदगुदाते हैं. वो लालू की तरह ही वगैर आंकड़ों के उलटे सीधे बयान देकर सुर्खियाँ बटोरते रहते हैं. मीडिया जिस तरह से लालू यादव के आगे पीछे करता था, लालू जिस तरह से मीडिया में हरदम छाये रहते थे , उसी तरह आज तेजप्रताप यादव के आगे पीछे करता मीडिया करता रहता है ,उसी तरह से तेजप्रताप मीडिया में बने रहते हैं.दरअसल, तेजप्रताप यादव को पता है कि उनके समर्थकों से लेकर मीडिया तक को लालू स्टाइल वाला ही आरजेडी नेता चाहिए. अगर उन्हें एक शालीन ,मिट्ठा बोलनेवाला रंजन यादव जैसा नेता चाहिए होता तो लालू यादव आज लालू यादव थोड़े ही रहते . उनकी जगह कबका रंजन यादव ले लिए होते. लालू यदव अपने देशी गावं गवई वाले अंदाज और बात बात पर फुफकारने, घुड़कीदेने और बात बात में रुलाने और विरोधियों को भी अपने मजाकिया अंदाज से गुदगुदा देनेवाली कला के कारण ही आजतक अपने समर्थकों के दिलों पर राज करते रहे. उनके विरोधी भी उन्हें देखकर मुस्कुराने से अपने आपको रोक नहीं पाए.आज उसी अंदाज में हर वक्त दिखने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं तेजप्रताप यादव. जानते हैं क्यों ? इसीलिए कि उनके दल को और मीडिया को भी लालू अंदाज वाला ही आरजेडी नेता चाहिए .उन्हें पता है कि उनके समर्थकों को अंग्रेजी बोलनेवाला नहीं अपनी भाषा बोलनेवाला नेता चाहिए. उन्हें पता है कि उन्हें सिमसिमाह ( महीन ) नहीं बल्कि लालू जैसा अक्कड़, अल्लहड़,बडबोला नेता चाहिए. उन्हें लालू जैसा ही अक्कड़, दबंग, बडबोला और बात बात पर विरोधियों पर फुफकारने वाला, लाठी में तेल पिलावन करनेवाला, विरोधियों को हड्काने वाला नेता चाहिए. और तेजप्रताप वहीँ बनकर पार्टी के वजूद को बचाए रखने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.
उनकी इस कोशिश को ज्यादा लोग उनके बचपने के रूप में, तो कुछ लोग उनकी मनसोखी के रूप में, तो विरोधी उन्हें लंठ और पागल के रूप में देख खुश हो रहे हैं. अगर वाकई लालू की तरह अंतिम समय तक अपने को साबित करने में तेजप्रताप यादव कामयाब हो गए तो , तेजप्रताप के रूप में आरजेडी को दूसरा लालू यादव मिल सकता है .
श्रीकांत प्रत्यूष
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