रिसर्च : कोरोना के दोनों डोज में अलग वैक्सीन लगवाने पर ज्यादा असर

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सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना के टीके की दोनों खुराकें एक जैसी हों या अलग-अलग हों, इस पर पहले से ही बहस चल रही है. कुछ वैज्ञानिक तथ्य कहते हैं कि दूसरी अलग खुराक होने से ज्यादा एंटीबॉडी बनती हैं जबकि उसी टीके को दोबारा देने से कई बार यह प्रतिरोधक तंत्र के खिलाफ भी काम कर सकता है. कोरोना के टिके को लेकर ब्रिटेन के बाद अब स्पेन में किये गए परिक्षण से एक बात साफ़ हो गई है कि एक टीके की दो खुराक लेने की बजाय दो टीकों की दो अलग-अलग खुराकें लेना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. स्पेन में 600 से अधिक लोगों पर हुए परीक्षण के आरंभिक नतीजों में पाया गया कि जिन लोगों ने एस्ट्राजेनेका के टीके कोविशील्ड की पहली खुराक लेने बाद फाइजर के टीके की दूसरी खुराक ली, उनके शरीर में प्रतिरोधक एंटीबॉडी ज्यादा पाई गई.

टीकों को मिलाकर देने को लेकर ब्रिटेन के बाद यह दूसरा अध्ययन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूरे यूरोप में इस पर पहले से ही विचार चल रहा है. वहां जिन लोगों को एस्ट्राजेनेका टीके की पहली डोज दी गई है, अब सरकारें उन्हें इसकी दूसरी खुराक देने के पक्ष में नहीं है. ऐसा इसके दुष्प्रभावों को लेकर है. इसलिए अब ऐसे लोगों को फाइजर की दूसरी डोज देने की राह खुल सकती है.नेचर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार स्पेन ने 663 लोगों पर यह परीक्षण किया है. इन लोगों को अप्रैल में एस्ट्राजेनेका टीके की पहली खुराक दी गई थी. इसके आठ सप्ताह के बाद इनमें से दो तिहाई लोगों को दूसरी डोज के रूप में फाइजर की खुराक दी गई. जबकि 232 लोगों को दूसरी खुराक नहीं दी गई. फाइजर की दूसरी खुराक लेने वालों में बड़ी संख्या में प्रतिरोधक एंटीबॉडी मिलीं. जबकि जिन्हें खुराक नहीं दी गई थी, उनमें एंटीबॉडी की संख्या में कोई बदलाव नहीं देखा गया.

ब्रिटेन में हुए अध्ययन में भी इसी प्रकार के नतीजे देखे गए थे. लेकिन उस अध्ययन में यह कहा गया है कि दो टीके मिलाने से ज्यादा लोगों में दुष्प्रभाव देखे गए। लेकिन स्पेन में हुए अध्ययन में कहा गया है कि यह करीब-करीब वैसे ही थे जैसे एस्ट्राजेनेका का टीका लेते समय हुए थे. भारत में अभी दो टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाए जा रहे हैं, उसमें एक ही टीके को दो बार दिया जाता है. एस्ट्राजेनेका का टीका निष्क्रिय एडिनोवायरस आधारित टीका है.

देश में तीसरे टीके के रूप में स्पूतनिक-वी शुरू हो रहा है, उसकी दोनों खुराकें अलग-अलग हैं. इसकी पहली डोज में आरएडी-26 तथा दूसरी डोज में आरएडी-5 वैक्टर का इस्तेमाल किया गया है. यह दोनों फ्लू के एडिनोवायरस हैं. इसलिए स्पूतनिक-वी टीके की प्रभावकारिता कहीं ज्यादा बताई जा रही है.

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