सिटी पोस्ट लाइव : न्यू बोर्न बेबी के लिए मां का दूध अमृत के सामान होता है लेकिन अब समय के साथ यहीं यही दूध विष हो गया है. बिहार के कई जिलों में नौनिहालों के लिए मां का दूध अब जहर बनता जा रहा है. महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग के अनुसार कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट पर शोध के क्रम में बिहार के कई जगहों पर मां के दूध में आर्सेनिक भारी मात्रा में पाया गया है जो नौनिहालों के लिए सीधे-सीधे जहर तुल्य है.
बिहार के कई जिलों में पीने के पानी और अनाज में आर्सेनिक की बड़ी मात्रा पाई गई है. अब महावीर कैंसर संस्थान ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में पाया कि मां के दूध में आर्सेनिक की मात्रा है.शोध में बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, भागलपुर और राजधानी पटना में दूध में भारी मात्रा में आर्सेनिक के अंश मिलके हैं.। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मां के दूध में पीने योग्य आर्सेनिक की मात्रा का प्रतिशत 0.2 से 0.6 माइक्रोग्राम पर लीटर पीने योग्य माना गया है.
बक्सर में इसकी सबसे ज्यादा मात्रा 495.2 माइक्रोग्राम पर लीटर के आसपास पाई गई है. महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग के प्रभारी और पटना के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन प्रोफेसर अशोक कुमार घोष के अनुसार आर्सेनिक उपचार की अभी तक कोई भी दवाई देश दुनिया में उपलब्ध नहीं हो सकी है. ग्रामीण क्षेत्रों में मदर मिल्क का सैंपल कलेक्ट करना बहुत ही चैलेंज भरा काम है. महिलाओं में बच्चों के पीने योग्य दूध की सैंपल के लिए 20 वर्ष से 40 वर्ष के महिलाओं के दूध का सैंपल इकट्ठा किया गया है और जब उसकी जांच की गई तो उसके काफी चौंकाने वाले परिणाम आए हैं.बिहार के जिन 6 जिलों में मां के दूध में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक पाई गई है वहां के महिलाओं को इसके लिए अपने दूध की जांच कराना बहुत जरूरी है ताकि उनके बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें.
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