सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में बाढ़ की त्रासदी तो कम हो गई. लेकिन अब बिमारियों ने जकड लिया है. गंदे पानी से होने वाली बिमारियों ने लोगों की जिन्दगी को खतरे में डाल दिया है. भागलपुर में बाढ़जनित बीमारों की संख्या अस्पताल में बढ़ने लगी है, जबकि ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई जो कि वायरल फीवर, त्वचा रोगों से पीड़ित हैं। मायागंज अस्पताल के इमरजेंसी में सबौर, नाथनगर व शंकरपुर दियारा क्षेत्र से पांच मामले डायरिया के आये, जिनका अभी इमरजेंसी में इलाज चल रहा है.
बता दें ये हाल सिर्फ भागलपुर का नहीं बल्कि बिहार के ऐसे इलाके जो गंगा नदी के बढ़े जलस्तर में डूब गए थे, वहां भी बिमारियों ने घर बना रखा है. वैसे भागलपुर की स्थिति सबसे ज्यादा भयावह है. मायागंज अस्पताल के ओपीडी में हर रोज 25 से 30 की संख्या में वायरल फीवर, डेंगू व मलेरिया के मरीज जांच में चिह्नित हो रहे हैं. दूषित पानी व बासी खाने या फिर मछली के सेवन से डायरिया के बीमार बढ़ रहे हैं. ऐसे में इससे बचने के लिए लोगों को पानी उबालकर पीना चाहिए और बासी व मछली खाने से परहेज करना चाहिए.
इसके अलावा बरसात व बाढ़ के कारण जलजमाव वाले क्षेत्रों में डेंगू व मलेरिया के मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है. ऐसे में जलजमाव वाले क्षेत्र में केरोसिन का तेल डालें और कूड़े आदि की सफाई कर वहां पर नियमित रूप से ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव करना चाहिए. रात में सोते वक्त मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए. यही नहीं कई मरीज त्वचा से जुडी बिमारियों का शिकार हो रहे हैं. बता दें बाढ़ का पानी जब कम होता है गंदगी के साथ-साथ पीने योग्य पानी को भी दूषित कर देता है. यही नहीं नदी में बहकर आई मछलियों को लोग खाते हैं. ये दोनों डायरिया का सबसे बड़ा कारण बनता है. ऊपर से कीचड़ में पैदा हुए मच्छर मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी दे देते हैं.
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