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एनजीओ को लेकर सरकार की गंभीरता फिर सवालों के घेरे में, नया मामला भी जान लीजिए

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एनजीओ को लेकर सरकार की गंभीरता फिर सवालों के घेरे में, नया मामला भी जान लीजिए

सिटी पोस्ट लाइवः बिहार के मुजफ्फरपुर के बहुचर्चित बालिका गृहकांड और पटना शेल्टर होम मामला सामने आने के बाद बिहार में एनजीओ शक के घेरे में हैं उनकी कार्यशैली पर सवाल हैं और कई एनजीओ पर तमाम तरह के आरोप भी हैं। मामला सामने आने के बाद बिहार सरकार ने कहा था कि अब वैसे कई काम सरकार खुद देखेगी जो एनजीओ को दिये जाते हैं, मसलन बालिका गृह और शेल्टर होम का संचालन सरकार खुद करेगी। कई एनजीओ के ई-वैल्यूशन यानि एनजीओ के कार्य मूल्यांकन की बात भी कही गयी थी। बिहार में एनजीओ के ई-वैल्यूशन की नयी कहानी सामने आ रही है जो बेहद दिलचस्प भी है और हास्यास्पद भी है, सरकार एनजीओ और उनके ई-वैल्यूएशन को लेकर कितनी गंभीर है.

इस ताजे मामले ने पूरी पोल पट्टी खोल कर रख दी है। मामला बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी का है। एड्स कंट्रोल सोसायटी एनजीओ की मदद से एचआईवी पर काम करती है और इस काम में लगे तमाम एनजीओ का 2 साल पर ई-वैल्यूएशन यानि मूल्यांकन होता है। 28 एनजीओ ऐसे हैं जिन्हें 13 महीनों से एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से कोई पेमेंट नहीं दिया गया है। वजह है कि इनका ई-वैल्यूएशन नहीं हुआ है। बिहार के बाहर से 19 सदस्यीय टीम को बुलाया गया एनजीओ के ई-वैल्यूएशन के लिए। 23 जनवरी से उन्हें काम शुरू करना था। टीम के सदस्यों का आरोप है कि उन्हें दो दिनों तक होटल में रखा गया। उन जिलों के नाम तक नहीं बताए गये जहां उन्हें काम शुरू करना था बाद में लौट जाने को कह दिया गया। टीम के सदस्यों ने बताया कि हमें बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी ने बुलाया था और टिकट के पैसे देने के वादे किये गये थे लेकिन अब जब हमलोगों को लौटना है तो टिकट के पैसे नहीं दिये जा रहे।

सदस्यों का यह भी आरोप है कि उन्हें कोई भी लिखित आदेश नहीं दिया जा रहा बल्कि मौखिक रूप से सबकुछ कहा जा रहा। टीम के सदस्य लखनऊ, हैदराबाद और तमाम जगहों से आए हैं। टीम के एक सदस्य ने कहा कि बिहार सरकार क्या कर रही है। सरकारी पत्र से हमें बुलाया जाता है और फिर इस तरह अचानक जाने को कह दिया जाता है। बहरहाल इस पूरे मामले ने एक सवाल पीछे जरूर छोड़ दिया है। सवाल यह कि आखिर क्या वजह है कि टीम को बुलाने के बाद एनजीओ का ई-वैल्यूएशन नहीं कराया गया? क्यों किसी भी लिखित आदेश देने से बचा जा रहा है? सवाल कई हैं और सवाल एनजीओ को लेकर सरकार की गंभीरता पर भी है।

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