लोकसभा 2019 : कायस्थ मतदाता तय करेंगे शत्रु और रविशंकर के भाग्य का फैसला
सिटी पोस्ट लाइव : जिस तरह से मधेपुरा में यादव और कटिहार में अल्पसंख्यक चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं उसी तरह से बिहार की राजधानी पटना साहिब की सीट पर कायस्थ मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. मधेपुरा में भी इसबार लड़ाई यादव बनाम यादव तो कटिहार में अल्पसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक और पटनासाहिब लोक सभा सीट पर लड़ाई कायस्थ बनाम कायस्थ की है. साल 2019 के लोक सभा चुनाव में इसबार उम्मीदवारों के चेहरे बदल गए हैं. लेकिन फाइट सीधे तौर पर कायस्थ बनाम कायस्थ ही है.एक तरफ कांग्रेस के टिकेट पर शत्रु मैदान में हैं तो उनका मुकाबला बीजेपी के रविशंकर प्रसाद से है.
कायस्थ बाहुल्य पटनासाहिब सीट पर नेताओं की किस्मत का फैसला कायस्थ वोटर ही करते हैं यही कारण है कि हरेक चुनाव चाहे वो लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का प्रत्याशियों की जाति अधिकांशत: कायस्थ ही होती है.2019 के चुनाव में भी इस सीट की तस्वीर कुछ ऐसी ही है. यहां सीधा मुकाबला कायस्थ बनाम कायस्थ है. एनडीए ने जहां केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनावी समर में उतारा है वहीं उनके सामने इस सीट से सीटिंग एमपी और कांग्रेस के नेता शत्रुघ्न सिन्हा हैं. कायस्थ बहुल पटना साहिब सीट की सीट इस बार भी हाई प्रोफाइल फाइट का गवाह बन रही है और पूरे देश की नजरें इस सीट पर आ टिकी हैं. इस सीट को पिछले चुनाव यानी 2014 में बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा ने जीता था लेकिन इस बार के हालात और समीकरण दूसरे हैं और वो कांग्रेस में जा चुके हैं.
शत्रु के पाला बदलने से एनडीए को एक दमदार उम्मीदवार की तलाश थी जो रविशंकर प्रसाद पर जाकर पूरी हुई. इस सीट से बीजेपी के ही एक और चेहरे आरके सिन्हा को लेकर भी चर्चा तेज थी लेकिन पार्टी ने उनकी जगह रविशंकर पर भरोसा जताया और पहली बार उनको लोकसभा चुनाव के दंगल में उतार दिया. साल 2014 के चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को 485,905 वोट मिले थे. पिछले चुनाव में उनके मुकाबले में कांग्रेस ने सिने स्टार कुणाल सिंह को खड़ा किया था जिनको 220,100 मत मिले थे वहीं जेडीयू ने शहर के प्रख्यात चिकित्सक और कायस्थ चेहरे गोपाल प्रसाद सिन्हा को टिकट दिया था लेकिन वो मात्र 91,024 वोट पा सके थे.
साल 2019 में कायस्थ लैंड की सूरत भले ही न बदली हो लेकिन उम्मीदवारों के चेहरे बदल गए हैं. फाइट सीधे तौर पर कायस्थ बनाम कायस्थ है. कहा जा रहा है कि पार्टी के फैसले से आरके सिन्हा नाराज हैं तो वहीं शत्रुघ्न सिन्हा को भी कायस्थ समेत एमवाई का वोट मिलेगा. बीजेपी छोड़ने के बाद बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट से हैट्रिक लगाने की कोशिश में है तो इस प्रयास में उनको लालू, मांझी और कुशवाहा का भी साथ मिल रहा है वहीं रविशंकर प्रसाद की बात करें तो वो नीतीश के काम, मोदी मैजिक और कायस्थों के परंपरागत वोटों के सहारे मैदान में हैं.
पटना साहिब सीट से कायस्थ मतदाताओं के साथ ही वोटिंग का प्रतिशत भी काफी हद तक हार-जीत की तस्वीर को साफ करेगा.इसीलिए तो शत्रु सोशल मीडिया के जरिये कायस्थ समाज को ये सन्देश देने में जुटे हैं कि उनकी जीत में ही कायस्थ समाज का हित है क्योंकि रविशंकर प्रसाद के चुनाव हारने से कोई नुकशान नहीं होगा .हार के वावजूद वो राज्य सभा सांसद बने रहेगें लेकिन शत्रु हारे तो कायस्थ समाज के हिस्से की एक राज्य सभा सीट हाथ से निकल जायेगी. अगर शत्रु का यह सन्देश कायस्थ समाज मान लेता है तो रविशंकर प्रसाद की मुश्किल बढ़ जायेगी.
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