मुजफ्फरपुर में मंत्री राम कृपाल यादव को दिखाया काला झंडा, गाड़ी पर फेंकी स्याही
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में बीजेपी-एनडीए के नेताओं का क्षेत्र में निकलना या फिर जनता के बीच जाना दूभर हो चूका है. वो जहाँ भी जा रहे हैं, उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें काला झंडा तो दिखाया ही जा रहा था ,उनके सामने मुर्दाबाद के नारे तो लगाए ही जा रहे थे. लेकिन अब उनके ऊपर स्याही भी फेंकी जाने लगी है. एक ऐसा ही वाक्य आज बीजेपी के संसद केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के साथ हुआ है.केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव को बुधवार को मुजफ्फरपुर में काला झंडा दिखाया गया.उनकी गाडी पर काली स्याही फेंकी गई और जमकर मुर्दाबाद के नारे लगे.
मुजफ्फरपुर जिले के बैरिया में गरीब जनक्रांति पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के कार्यक्रम में भाग लेने मुजफ्फरपुर पहुंचे रामकृपाल की गाड़ी को रास्ते में घेर लिया. उनकी कार पर स्याही फेंकी. साथी ही उनकी गाड़ी रोक कर काला झंडा दिखाया और नारेबाजी की. कार्यकर्ताओं के जबरदस्त विरोध के बाद केंद्रीय मंत्री को सभा स्थल से पहले ही उल्टे पांव लौटना पड़ा.दरअसल, एक कार्यक्रम में सभा को संबोधित करने के लिए केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव बैरिया बाजार पहुंचे थे. जहां गरीबी के आधार पर आरक्षण और समान शिक्षा प्रणाली की मांग को लेकर गरीब जनक्रांति पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ी को चारों ओर से घेर लिया और काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन करने लगे, साथ ही उनकी गाड़ी पर काली स्याही फेंक दी.
कार्यकर्ताओं को समझाने के लिए पुलिस भी मौके पर पहुंची लेकिन कार्यकर्ताओं की भीड़ ने केंद्रीय मंत्री के काफिले को आगे नहीं बढ़ने दिया. वापस जाओ के नारे लगाने लगे. इस काफिले में केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नितिन नवीन मौजूद थे. घटना के कुछ देर बाद मंत्री भाजपा के आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे.
इसके पहले बिहार बीजेपी के अध्यक्ष नित्यानंद राय, बीजेपी नेता और एक्टर मनोज तिवारी, जहानाबाद सांसद अरुण कुमार के बेटे समेत कई एनडीए नेताओं को काले झंडे दिखाए जा चुके हैं. उनका विरोध किया जा चूका है.बीजेपी और एनडीए के नेताओं का विरोध का यह सिलसिला बक्सर के सांसद केन्द्रीय मंत्री अश्वनी चौबे के विरोध से शुरू हुआ था जो थमने का नाम नहीं ले रहा. बीजेपी-एनडीए के नेता सकते में हैं. उनकी समझ में ये बात नहीं आ रही है कि आगामी चुनाव में वो जनता के बीच कैसे वोट मांगने जायेगें.
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